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  • आज उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय
Written by Vipin MittalJuly 3, 2025

आज उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

Breaking news Article

*मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय*
लखनऊ : 03 जुलाई, 2025
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए :-
*आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे तक लिंक एक्सप्रेस-वे*
*हेतु प्रवेश नियंत्रित ग्रीनफील्ड लिंक एक्सप्रेस-वे के निर्माण के सम्बन्ध में*
मंत्रिपरिषद ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे तक लिंक एक्सप्रेस-वे हेतु प्रवेश नियंत्रित ग्रीनफील्ड लिंक एक्सप्रेस-वे का व्यय-वित्त समिति द्वारा मूल्यांकित लागत 4775.84 करोड़ रुपये की धनराशि से ई0पी0सी0 मोड पर निर्माण कराए जाने का निर्णय लिया है।
ज्ञातव्य है कि इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे (चैनेज 294+230) भलिया ग्राम से पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के (चैनेज 6+350) पहांसा ग्राम तक प्रवेश नियंत्रित लिंक एक्सप्रेस-वे के रूप में विकसित किया जाना प्रस्तावित है। एक्सप्रेस-वे की कुल लम्बाई 49.960 कि0मी0 है। एक्सप्रेस-वे का निर्माण 6-लेन चौड़ाई (8-लेन तक विस्तारणीय) में किया जाएगा। सभी संरचनाएं 8-लेन चौड़ाई हेतु निर्मित की जाएंगी।
एक्सप्रेस-वे का निर्माण 120 कि0मी0 प्रति घण्टा डिजाइन स्पीड हेतु प्रस्तावित है। एक्सप्रेस-वे पर यातायात व्यवस्था के सुगम संचालन हेतु एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेण्ट सिस्टम की स्थापना प्राविधानित है। परियोजना हेतु 120 मीटर चौड़ाई का राइट ऑफ वे (आर0ओ0डब्ल्यू) प्रस्तावित किया गया है अर्थात 120 मीटर चौड़ाई में भूमि क्रय/अधिग्रहण किया जाएगा। एक्सप्रेस-वे के अन्तर्गत 02 दीर्घ सेतु, 20 लघु सेतु, 60 न0 बॉक्स कल्वर्ट, 21 न0 एल0वी0यू0पी0, 16 नं0 एस0वी0यू0पी0, 08 नं0 वी0यू0पी0, 02 न0 रेलवे ओवरब्रिज, 06 न0 फ्लाई ओवर और 05 न0 इण्टरचेंजेज का निर्माण प्रस्तावित है।
परियोजना की सम्पूर्ण लम्बाई में एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर 07 मीटर चौड़ाई में सर्विस रोड का निर्माण किया जाएगा। एक्सप्रेस-वे और सर्विस रोड पर निर्धारित विशिष्टयों और मानकों के अनुसार ट्रैफिक साइन बोर्ड, रोड मार्किंग, क्रैश बैरियर, डेलीनेटर्स आदि उपकरणों की स्थापना प्रस्तावित है।
पर्यावरण की दृष्टि से एक्सप्रेस-वे मीडियन में तथा एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर एवेन्यू वृक्षारोपण का कार्य तथा दोनों ओर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की स्थापना प्रस्तावित है। परियोजना के निर्माण के लिए इण्डियन रोड काँग्रेस द्वारा निर्गत नवीनतम कोड के अनुसार विशिष्टियों एवं मानकों का निर्धारण किया गया है। एक्सप्रेस-वे पर यातायात की सुरक्षा की दृष्टि से निर्माण के पश्चात 24X7 आधार पर एम्बुलेंस एवं क्रेन की उपलब्धता हेतु प्राविधान किया गया है। आगणन में निर्माण एजेंसी द्वारा निर्माण के पश्चात अगले 05 वर्षों तक अनुरक्षण का कार्य कराया जाना सम्मिलित है।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लखनऊ-प्रयागराज (एन0एच0-30) तथा लखनऊ-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्गों (एन0एच0-27) के आपस में जुड़ जाने से लखनऊ-आगरा-कानपुर-प्रयागराज-वाराणसी-गाजीपुर तक आवागमन सुगम हो सकेगा।
प्रदेश में निर्मित आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेस-वे पश्चिम से पूरब दिशा में प्रदेश के मध्य में संरेखित है। बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे एवं गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे उत्तर-दक्षिण दिशा में संरेखित है। इस प्रकार प्रदेश में एक्सप्रेस-वे की एक ग्रिड अस्तित्व में आ रही है, जो यातायात को प्रदेश के किसी भी कोने तक बाधारहित, त्वरित पहुंच उपलब्ध कराएगी।
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*बुन्देलखण्ड इण्डस्ट्रियल डेवलपमेण्ट अथॉरिटी एरिया*
*(प्रीपरेशन एण्ड फाइनलाइजेशन ऑफ प्लान) विनियमावली-2025 के सम्बन्ध में*
मंत्रिपरिषद ने बुन्देलखण्ड इण्डस्ट्रियल डेवलपमेण्ट अथॉरिटी एरिया (प्रीपरेशन एण्ड फाइनलाइजेशन ऑफ प्लान) विनियमावली-2025 के अंग्रेजी एवं हिन्दी की विधीक्षित अधिसूचना को सरकारी गजट में प्रकाशित कराकर अग्रेतर कार्यवाही हेतु मुख्य कार्यपालक अधिकारी, बीडा को निर्देशित करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
ज्ञातव्य है कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र के बहुआयामी विकास हेतु नोएडा की तर्ज पर एक नयी इण्डस्ट्रियल टाउनशिप विकसित किए जाने के लिए शासकीय अधिसूचना संख्या-5595/77-4-23-1372-23 दिनांक 14.09.2023 द्वारा बुन्देलखण्ड औद्योगिक विकास प्राधिकरण (बीडा) का गठन किया गया है।
उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम-1976 (यथासंशोधित) में विहित प्राविधानों के अधीन बीडा के अधिसूचित क्षेत्र के भू-उपयोग के सुनियोजित विकास हेतु समुचित योजना तैयार किए जाने के लिए बुन्देलखण्ड इण्डस्ट्रियल डेवलपमेण्ट अथॉरिटी एरिया (प्रीपरेशन एण्ड फाइनलाइजेशन ऑफ प्लान) विनियमावली-2025 बनाया जाना आवश्यक है।
इस विनियमावली के लागू होने से सुरक्षित निर्माण, भवन की डिजाइन और आकार को नियंत्रित करने, अनियोजित विकास को रोकने, पर्यावरण पर निर्माण के विपरीत प्रभाव को रोकने के साथ-साथ पर्याप्त जन सुविधाओं, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं, आवागमन हेतु पर्याप्त चौड़ाई की सड़कों, शहर के घनत्व के अनुपात में पार्किंग एवं हरित क्षेत्र हेतु जन-सामान्य के अनुकूल शहर का विकास होगा। औद्योगिक गतिविधियों के बढ़ने से क्षेत्र के विकास एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
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*सभी सरकारी विभागों एवं शासकीय नियंत्रणाधीन उपक्रमों/निगमों/प्राधिकरणों/परिषदों एवं स्वायत्तशासी संस्थाओं द्वारा उ0प्र0 राज्य हथकरघा निगम लि0, उ0प्र0 खादी एवं* *ग्रामोद्योग बोर्ड के माध्यम से उनके द्वारा वित्त पोषित एवं प्रमाणित संस्थाओं, श्री गाँधी आश्रम तथा उ0प्र0 हस्तशिल्प विकास एवं विपणन निगम द्वारा उत्पादित वस्त्रों की*
*क्रय अनिवार्यता को 31 मार्च, 2028 तक बढ़ाए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत*
मंत्रिपरिषद ने सभी सरकारी विभागों एवं शासकीय नियंत्रणाधीन उपक्रमों/निगमों/प्राधिकरणों/परिषदों एवं स्वायत्तशासी संस्थाओं द्वारा उ0प्र0 राज्य हथकरघा निगम लि0, उ0प्र0 खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के माध्यम से उनके द्वारा वित्त पोषित एवं प्रमाणित संस्थाओं, श्री गाँधी आश्रम तथा उ0प्र0 हस्तशिल्प विकास एवं विपणन निगम द्वारा उत्पादित वस्त्रों को पूर्व प्रचलित क्रय अनिवार्यता की व्यवस्था की अवधि को 31 मार्च, 2028 तक निर्धारित शर्तों के अधीन बढ़ाए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
मंत्रिपरिषद ने लघु एवं कुटीर इकाइयों के विकास तथा हथकरघा उद्योग से जुड़े बुनकरों के हित के दृष्टिगत सरकारी विभागों एवं शासकीय नियंत्रणाधीन उपक्रमों/निगमों/प्राधिकरणों/परिषदों एवं स्वायत्तशासी संस्थाओं द्वारा उ0प्र0 राज्य हथकरघा लि0, यूपिका, उ0प्र0 खादी एवं ग्रामोद्योग द्वारा वित्त पोषित एवं प्रमाणित संस्थाएं एवं श्री गाँधी आश्रम तथा उ0प्र0 हस्तशिल्प विकास एवं विपणन निगम द्वारा लघु एवं कुटीर तथा हथकरघा इकाइयों द्वारा उत्पादित वस्त्रों की क्रय अनिवार्यता की व्यवस्था को निर्धारित शर्तों एवं प्रतिबन्धों के अधीन 31 मार्च, 2028 तक बढ़ाए जाने का भी निर्णय लिया है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश के औद्योगिक एवं आर्थिक विकास में लघु एवं कुटीर इकाइयों के महत्व तथा हथकरघा उद्योग से जुड़े बुनकरों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के दृष्टिगत शासनादेश दिनांक 26.10.1998 द्वारा 11 प्रकार के वस्त्रों का अनिवार्य क्रय उ0प्र0 राज्य हथकरघा निगम लि0 एवं यूपिका से करने के आदेश कतिपय शर्तों के अधीन दिए गए थे, जो 01 वर्ष के लिए प्रभावी थे। वर्ष 1998 से प्रचलित इस व्यवस्था को एक-एक वर्ष की अवधि के लिए वर्ष 2016 तक बढ़ाया जाता रहा है। वर्ष 2016 के बाद इसकी अवधि तीन-तीन वर्ष के लिए बढ़ायी जाती रही है। इस प्रकार यह व्यवस्था 24 वर्षों से अनवरत चली आ रही है।
इस शासनादेश की परिसीमा में उ0प्र0 खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा वित्त पोषित एवं प्रमाणित संस्थाएं, श्री गाँधी आश्रम तथा उ0प्र0 निर्यात निगम को भी सम्मिलित करते हुए शासनादेश दिनांक 24.07.2019 निर्गत किया गया, जो 31.03.2022 तक प्रभावी था। तदोपरान्त शासनादेश दिनांक 06.04.2023 जारी किया गया, जो दिनांक 31.03.2025 तक प्रभावी था, जिसे पुनः 03 वर्ष (दिनांक 31.03.2028) तक विस्तारित किए जाने का प्रस्ताव है।
क्रय अनिवार्यता की इस व्यवस्था से प्रदेश के हथकरघा उद्योग से जुड़े बुनकरों एवं हस्तशिल्पियों को रोजगार के अधिकाधिक अवसर प्राप्त होंगे तथा उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। इस व्यवस्था से विपणन से जुड़ी संस्थाओं/उपक्रमों को भी आर्थिक लाभ मिलेगा।
इस नीति के अन्तर्गत आपूर्तिकर्ता संस्थाओं द्वारा विक्रय किए जाने वाले समस्त उत्पादों को चिन्हित ब्राण्ड के अन्तर्गत जेम पोर्टल के माध्यम से ही क्रय किया जाएगा, परन्तु उ0प्र0 खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा संचालित 07 विभागीय कम्बल उत्पादन केन्द्रों क्रमशः गोपीगंज-भदोही, मिर्जापुर, नजीबाबाद-बिजनौर, खजनी-गोरखपुर, टीकरमाफी-अमेठी, जौनपुर एवं अदिलाबाद-गाजीपुर द्वारा प्रतिवर्ष उत्पादित ऊनी कम्बलों के क्रय को बढ़ावा देने हेतु अधिकतम 10 प्रतिशत की सीमा तक सीधे क्रय करने का प्राविधान किया गया है। शेष 90 प्रतिशत क्रय निर्धारित संस्थाओं से जेम पोर्टल के माध्यम से सुनिश्चित किया जाएगा।
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*उ0प्र0 पूर्व सैनिक कल्याण निगम लि0 से पूर्व सैनिकों एवं होमगार्ड्स की*
*सेवाएं जेम पोर्टल से इतर/सीधे लिए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव स्वीकृत*
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश पूर्व सैनिक कल्याण निगम लि0 से पूर्व सैनिकों एवं होमगार्ड्स की सेवाएं जेम पोर्टल से इतर/सीधे लिए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है। मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार नियोक्ता विभागों (यथा-सार्वजनिक उपक्रमों, स्थानीय निकायों, शैक्षिक संस्थाओं आदि) को यह विकल्प होगा कि वे जेम के माध्यम से अथवा जेम पोर्टल से भिन्न, उ0प्र0 पूर्व सैनिक कल्याण निगम लि0 से सीधे सुरक्षा सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं।
मैनपावर के आउटसोर्स हेतु सर्विस चार्ज के रूप में उ0प्र0 पूर्व सैनिक कल्याण निगम लि0 को अधिकतम 5 प्रतिशत की धनराशि अनुमन्य होगी। उ0प्र0 पूर्व सैनिक कल्याण निगम लि0 सैनिक कल्याण विभाग के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन उत्तर प्रदेश सरकार का सार्वजनिक उपक्रम है। Private Security Agencies Regulation Act-2005 के प्राविधान निगम पर लागू नहीं होते हैं। अतः निगम के सन्दर्भ में च्ै।त्। लाइसेंस अनिवार्य नहीं है।
ज्ञातव्य है कि शासनादेश संख्या-2224/छः नासु-09-390होगा/97 दिनांक
23.06.2009 के अन्तर्गत सैनिक कल्याण विभाग द्वारा विभिन्न सार्वजनिक उद्यमों, स्थानीय निकायों, शैक्षणिक संस्थाओं, शासकीय तथा अर्धशासकीय संस्थाओं आदि में आवश्यकतानुसार अनिवार्य रूप से दक्ष, अनुशासित एवं प्रशिक्षित पूर्व सैनिकों एवं होमगार्ड्स को सेवायोजित किए जाने की व्यवस्था लागू थी।
प्रदेश में गवर्नमेण्ट ई-मार्केट प्लेस, जेम की व्यवस्था को अंगीकृत किए जाने के उपरान्त पूर्व सैनिकों एवं होमगार्ड्स को सीधे सेवायोजित करने की व्यवस्था पर विराम लग गया और जेम के माध्यम से पूर्व सैनिकों एवं होमगार्ड्स के सेवायोजन हेतु निविदा में भाग लेने पर अनेक कठिनाइयां/समस्याएं उत्पन्न होने लगीं।
पूर्व सैनिकों एवं होमगार्ड्स की सेवाएं जेम के माध्यम से लिए जाने में आने वाली समस्याओं के निराकरण के दृष्टिगत अन्तर्विभागीय बैठक में सम्यक विचारोपरान्त उत्तर प्रदेश पूर्व सैनिक कल्याण निगम लि0 से पूर्व सैनिकों एवं होमगार्ड्स की सेवाएं जेम पोर्टल से इतर/सीधे लिए जाने के सम्बन्ध में मत स्थिर किया गया।
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*अयोध्या एवं समीपवर्ती संवेदनशील प्रतिष्ठानों की सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिगत अयोध्या में एन0एस0जी0 हब की स्थापना हेतु 08 एकड़ भूमि 99 वर्षीय लीज पर गृह विभाग,*
*भारत सरकार के पक्ष में निःशुल्क आवंटित/अन्तरित किए जाने के सम्बन्ध में*
मंत्रिपरिषद ने अयोध्या एवं समीपवर्ती संवेदनशील प्रतिष्ठानों की सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिगत अयोध्या में एन0एस0जी0 हब की स्थापना हेतु गाटा संख्या-17 एवं 22 क्षेत्रफल 08 एकड़ भूमि स्थित छावनी गौरा बारिक ‘कैण्टोनमेण्ट क्षेत्र अयोध्या’ परगना-हवेली अवध, तहसील-सदर, जनपद-अयोध्या को 99 वर्षीय लीज पर गृह विभाग, भारत सरकार के पक्ष में कतिपय शर्तां एवं प्रतिबन्धों के अधीन तथा प्रभावी जिलाधिकारी, सर्किंल दर पर छूट प्रदान करते हुए निःशुल्क आवंटित/अन्तरित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
जिलाधिकारी, अयोध्या द्वारा प्राप्त प्रस्ताव/अनुरोध एवं राजस्व विभाग तथा गृह विभाग के अभिमत के क्रम में वित्त (लेखा) अनुभाग-2 के कार्यालय ज्ञाप संख्या-ए-2-75/दस-77-14(4)/74 दिनांक 03.02.1977 के प्राविधानों को शिथिल करते हुए यह हस्तान्तरण अपवादस्वरूप होगा। इसे भविष्य में दृष्टान्त के रूप में नहीं माना जाएगा।
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*जय प्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र परियोजना हेतु गठित*
*जे0पी0एन0आई0सी0 सोसाइटी को भंग करते हुए उसको पूर्ण कराने,*
*संचालन एवं रख-रखाव हेतु लखनऊ विकास प्राधिकरण को दिए जाने के सम्बन्ध में*
मंत्रिपरिषद ने जय प्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र के स्थल का सदुपयोग कर जनोपयोगी बनाए जाने तथा परियोजना में प्राधिकरण की 500 करोड़ रुपये की भूमि का मूल्य अन्तर्निहित होने के दृष्टिगत इसके रख-रखाव व संचालन हेतु त्रिस्तरीय जे0पी0एन0आई0सी0 सोसाइटी को भंग करते हुए यथास्थिति केन्द्र को लखनऊ विकास प्राधिकरण को हस्तान्तरित कर दिए जाने तथा इसके संचालन का दायित्व भी लखनऊ विकास प्राधिकरण को दे दिए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
मंत्रिपरिषद ने प्रश्नगत परियोजना के संचालन हेतु आर0एफ0पी0 डॉक्युमेण्ट एवं निजी संचालक के चयन पर अनुमोदन तथा प्रकरण में किसी संशोधन/परिमार्जन की आवश्यकता अनुभव होने पर उसके लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
ज्ञातव्य है कि जे0पी0एन0आई0सी0 परियोजना हेतु शासन द्वारा अब तक कुल अवमुक्त 821.74 करोड़ रुपये की धनराशि को लखनऊ विकास प्राधिकरण के पक्ष में स्थानान्तरित ऋण माना जाएगा, जिसे लखनऊ विकास प्राधिकरण को आगामी 30 वर्षों में चुकाना होगा।
परियोजना को पूर्ण कराने, निजी सहभागिता से अनुरक्षण एवं संचालन के लिए प्रक्रिया/शर्तें निर्धारित करने, सोसाइटी को भंग करने, सदस्यता समाप्त करने व अन्य अनुषांगिक कार्यवाही हेतु लखनऊ विकास प्राधिकरण को अधिकृत किए जाने का प्रस्ताव है।
परियोजना के अन्तर्गत राज्य स्तर का ऑडिटोरियम, कन्वेंशन सेण्टर की सुविधा तथा विश्वस्तरीय स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, मल्टीपरपज स्पोर्ट्स कोर्ट के साथ ही, 750 चार पहिया वाहनों की मल्टीलेवल पार्किंग की सुविधा उपलब्ध होगी, जिसका प्रयोग जनमानस द्वारा किया जाएगा।
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*राज्य सरकार की समेकित वित्तीय प्रबन्ध प्रणाली के उन्नयन हेतु*
*भारत सरकार की वैज्ञानिक संस्था-सेण्टर फॉर डेवलपमेण्ट ऑफ एडवांस्ड*
*कम्प्यूटिंग को नामांकन के आधार पर अनुबन्धित किए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत*
मंत्रिपरिषद ने राज्य सरकार की समेकित वित्तीय प्रबन्ध प्रणाली (इण्टीग्रेटेड फानेन्शियल मैनेजमेण्ट सिस्टम-IFMS) के उन्नयन हेतु इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार की वैज्ञानिक संस्था-सेण्टर फॉर डेवलपमेण्ट ऑफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग C-DAC को नामांकन के आधार पर अनुबन्धित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृत किया है।
प्रस्तावित निर्णय से वित्त विभाग को अनेक लाभ प्राप्त होंगे। वर्तमान में प्रशासकीय विभागों से बजट प्रस्ताव तैयार कर मैनुअली वित्त विभाग को प्रेषित किए जाते हैं, जिनके संकलन में समय लगता है। प्रस्तावित व्यवस्था से बजट प्रस्ताव ऑनलाइन प्रेषित किए जा सकेंगे, जिससे समय व कागज की बचत होगी।
वित्त विभाग का एक डैशबोर्ड तैयार किया जाएगा, जिसमें महत्वपूर्ण वित्तीय सूचनाएं प्रबन्धकीय सूचना प्रणाली (एम0आई0एस0) के रूप में उपलब्ध रहेंगी, जो निर्णय लेने में अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होंगी। वेण्डर मैनेजमेण्ट सिस्टम में विभिन्न कार्य/सेवा प्रदान करने वाले वेण्डर्स का पंजीकरण कर उनका डेटाबेस बनाया जाएगा, जिसका उपयोग राज्य सरकार के समस्त विभाग कर सकेंगे। इस मॉड्यूल के माध्यम से वेण्डर्स अपने दावों का अनुश्रवण ऑनलाइन कर सकेंगे।
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*उत्तर प्रदेश रोजगार मिशन का गठन किए जाने के सम्बन्ध में*
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश रोजगार मिशन का गठन किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है। मंत्रिपरिषद द्वारा उत्तर प्रदेश रोजगार मिशन के गठन हेतु यथावश्यकता नियम/विनियम बनाए जाने/संशोधन किए जाने आदि के लिए निर्णय लेने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
श्रम एवं सेवायोजन विभाग द्वारा प्रदेश के रोजगार के इच्छुक अभ्यर्थियों (जॉब सीकर्स) को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का कार्य किया जाता है। वर्तमान में अन्तर्राष्ट्रीय रोजगार पिछले कुछ वर्षों में राज्य की अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण कारक के रूप में उभरा है। इसके अतिरिक्त, देश-विदेश में रोजगार की मांग का सर्वेक्षण करना, प्रतिष्ठित कम्पनियों को सूचीबद्ध करना तथा उनसे रोजगार की मांग एकत्रित करने की प्रणाली विकसित करना, बेरोजगार अभ्यर्थियों के स्किल गैप का अध्ययन करना तथा इस गैप को पूरा करना जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों को किया जाना आवश्यक है।
अभ्यर्थियों को विदेशों में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए भाषा प्रशिक्षण एवं प्रस्थान-पूर्व उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित करना, कैम्पस प्लेसमेण्ट एवं कैरियर काउंसलिंग, नियोजित अभ्यर्थियों को प्लेसमेण्ट के बाद सहायता प्रदान करना आदि महत्वपूर्ण गतिविधियों को भी किया जाना आवश्यक है।
अतः वर्तमान परिदृश्य के अनुसार उपर्युक्त कार्यों हेतु ‘उत्तर प्रदेश रोजगार मिशन’ का गठन किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश रोजगार मिशन के संचालन हेतु पांच समितियों यथा-शासी परिषद, राज्य संचालन समिति, राज्य कार्यकारिणी समिति, राज्य कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (एस0पी0एम0यू0) एवं जिला कार्यकारिणी समिति का गठन किया जाएगा। उपरोक्त संगठनात्मक संरचना के आधार पर मिशन को सोसायटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम-1860 के अन्तर्गत पंजीकृत किया जाएगा।
यह एक उच्चस्तरीय संस्था होगी, जिसका उद्देश्य यह होगा कि प्रदेश के बेरोजगार अभ्यर्थियों एवं श्रमिकों को उनकी योग्यता के अनुसार प्रदेश एवं विदेशों में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराया जा सके।
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*डॉ0 के0एन0 मोदी विश्वविद्यालय, मोदीनगर,*
*गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश की स्थापना के सम्बन्ध में*
मंत्रिपरिषद ने डॉ0 के0एन0 मोदी विश्वविद्यालय, मोदीनगर, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश का नाम उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम-2019 की धारा-7, उपधारा (2) के अन्तर्गत अधिनियम के संशोधन के माध्यम से उपधारा (3) में वर्णित अनुसूची-2 में उल्लिखित अन्तिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक में रखे जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है। तद्नुसार उ0प्र0 निजी विश्वविद्यालय अधिनियम-2019 में संशोधन हेतु उ0प्र0 निजी विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश-2025 के विधीक्षित अंग्रेजी एवं हिन्दी आलेख्य को प्रख्यापित कराए जाने तथा उसके प्रतिस्थानी विधेयक के आलेख्य पर विभागीय मंत्री का अनुमोदन प्राप्त कर उसे राज्य विधान मण्डल में पुरःस्थापित/पारित कराए जाने के प्रस्ताव को भी मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित किया गया है।
ज्ञातव्य है कि डॉ0 के0एन0 मोदी विश्वविद्यालय की स्थापना के सम्बन्ध में प्रायोजक संस्था डॉ0 के0एन0 मोदी इन्स्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एण्ड रिसर्च ट्रस्ट, गाजियाबाद द्वारा उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम-2019 की धारा-3 में उल्लिखित शर्तों की पूर्ति कर ली गयी है। इसके दृष्टिगत प्रश्नगत अध्यादेश को प्रख्यापित कराए जाने एवं तत्पश्चात संचालन प्राधिकार पत्र निर्गत किए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है।
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*उ0प्र0 मोटर यान कराधान (संशोधन) विधेयक-2025 का आलेख स्वीकृत*
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश मोटर यान कराधान (संशोधन) विधेयक-2025 के आलेख को स्वीकृति प्रदान कर दी है। राजस्व में वृद्धि एवं परिवहन विभाग के कर ढांचे में परिवर्तन किए जाने के प्रयोजनार्थ उत्तर प्रदेश मोटर यान कराधान अधिनियम-1997 की धारा-4 एवं 9 में यथापेक्षा संशोधन हेतु उत्तर प्रदेश मोटर यान कराधान (संशोधन) अधिनियम-2025 का प्रख्यापन प्रस्तावित है।
ज्ञातव्य है कि उ0प्र0 मोटरयान कराधान अधिनियम-1997 के अन्तर्गत मोटर वाहनों के प्रति देय करों को आरोपित किए जाने एवं उसकी वसूली किए जाने का प्राविधान है। इस प्राविधान के फलस्वरूप प्राप्त कर राज्य सरकार की आय का प्रमुख स्रोत है। इस अधिनियम की धारा-4 के अन्तर्गत गैर-परिवहन एवं परिवहन दोनों प्रकार के वाहनों पर कर का आरोपण किया जाता है।
राजस्व बढ़ाने की दृष्टि से वाहनों के प्रति देय करों की दरों एवं कर संरचना में समय-समय पर परिवर्तन किया जाना अपेक्षित रहता है, किन्तु विगत कई वर्षों से वाहनों के कर ढांचे में परिवर्तन अथवा कर की दरों में कोई वृद्धि नहीं की गयी है। इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति-2022 में ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) मोबिलिटी को प्रोत्साहन दिए जाने के उद्देश्य से इलेक्ट्रिक वाहनों को रोड टैक्स में छूट प्रदान करने का प्राविधान किया गया है, जिससे परिवहन विभाग द्वारा अर्जित किए जाने वाले राजस्व पर नकारात्मक प्रभाव सम्भावित है।
अतः प्रदेश की वन ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाए जाने के लक्ष्य की प्राप्ति के दृष्टिगत परिवहन विभाग द्वारा शासकीय राजस्व में अभिवृद्धि किए जाने के प्रयोजनार्थ परिवहन यानों में किराये तथा पारितोषिक (Hire or Reward) पर संचालित दो पहिया, तीन पहिया मोटर कैब, चार पहिया मोटर कैब एवं मैक्सी कैब, 7500 किलोग्राम तक सकल यान भार वाले माल वाहनों तथा निर्माण उपस्कर वाहनों एवं विशेष रूप से निर्मित वाहनों पर मासिक/त्रैमासिक/वार्षिक करारोपण की व्यवस्था को समाप्त करते हुए केवल एकबारीय कर व्यवस्था प्रस्तावित की जा रही है।
इसके दृष्टिगत उत्तर प्रदेश मोटर यान कराधान अधिनियम-1997 की धारा-4 एवं 9 में यथापेक्षा संशोधन हेतु उत्तर प्रदेश मोटर यान कराधान (संशोधन) अधिनियम-2025 को विधान मण्डल से पारित कराए जाने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है।
मंत्रिपरिषद द्वारा इस प्रस्ताव पर आज अनुमति प्रदान कर दी गयी है। प्राप्त अनुमोदन के क्रम में उ0प्र0 मोटरयान कराधान अधिनियम-1997 की प्रश्नगत धाराओं में यथापेक्षा संशोधन किए जाने के सम्बन्ध में अग्रेतर आवश्यक कार्यवाही समयबद्ध रूप से की जाएगी।
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*उ0प्र0 भाषा संस्थान के कार्मिकों की अधिवर्षता*
*आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष किए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत*
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के कार्मिकों की अधिवर्षता आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान, भाषा विभाग के नियंत्रणाधीन स्वशासी संस्थान है। संस्थान के कार्मिकों की अधिवर्षता आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष किए जाने की माँग कार्मिकों द्वारा निरन्तर की जाती रही है। भाषा विभाग के ही नियंत्रणाधीन अन्य स्वशासी संस्थानों के कार्मिकों की अधिवर्षता आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष की जा चुकी है।
वित्त वेतन आयोग अनुभाग-2 के शासनादेश संख्या-वे0आ0-2-493/दस-2013, दिनांक 12 अगस्त, 2013 द्वारा उत्तर प्रदेश की स्वशासी संस्थाओं के कार्मिकों की अधिवर्षता आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष किए जाने के सम्बन्ध में प्रक्रिया निर्धारित की गयी है। तत्क्रम में शासनादेश में निर्धारित की गयी प्रक्रिया पूर्ण कर ली गयी है। इसके दृष्टिगत मंत्रिपरिषद द्वारा उ0प्र0 भाषा संस्थान के कार्मिकों की अधिवर्षता आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष किए जाने का प्रस्ताव अनुमोदित किया गया।
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