
इटावा में कथावाचक के सिर मुंडवाने की घटना पर महामंडलेश्वर शिवम जी महाराज की तीखी प्रतिक्रिया: “सनातन धर्म को नीचा दिखाने वाला कृत्य

औरैया, उत्तर प्रदेश:
हाल ही में इटावा जनपद में कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके सहयोगी संत सिंह यादव के साथ हुई मारपीट और सिर मुंडवाने की घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश में सनातन धर्मावलंबियों को स्तब्ध कर दिया है। इस संवेदनशील मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय सप्तऋषि अखाड़ा के महामंडलेश्वर श्री शिवम जी महाराज (पीठाधीश्वर, श्री पीतांबरेश्वर सरकार धाम, इटावा) ने औरैया शहर में आयोजित एक विशेष प्रेस वार्ता में अपना गंभीर वक्तव्य प्रस्तुत किया।
🗣 महामंडलेश्वर शिवम जी महाराज ने कहा —
“यह घटना न केवल अमानवीय है, बल्कि सनातन धर्म की मर्यादा और सहिष्णु परंपरा पर भी कुठाराघात है। यदि कोई कथावाचक अपनी पहचान छुपाकर कथा करता है तो यह गलत अवश्य है, परंतु यह न्यायपालिका का विषय है, न कि भीड़ के हाथों फैसला लेने का।”
🔱 उन्होंने स्पष्ट किया कि —
“व्यास पीठ किसी जाति विशेष का एकाधिकार नहीं है। जो भी श्रद्धा, अध्ययन और धर्म भावना से कथा करता है, उसे उसका अधिकार है। धर्म का आधार ‘कर्म’ है, न कि केवल ‘जन्म’।”
📖 उन्होंने भगवद्गीता (अध्याय 4, श्लोक 13) का उल्लेख करते हुए कहा —
“चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः।”
अर्थात् भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि वर्णों की व्यवस्था गुण और कर्म के आधार पर की गई है, न कि केवल जन्म के आधार पर। अतः किसी भी साधक को केवल जातिगत पहचान के आधार पर अपमानित करना शास्त्रसम्मत नहीं है।
📌 उन्होंने प्रशासन से मांग की कि इस मामले में निष्पक्ष और तेज़ जांच हो तथा दोषियों को न्यायिक दंड मिले, चाहे वह कोई भी पक्ष हो।
🛑 उन्होंने यह भी चेताया कि —
“इस मुद्दे को जातीय रंग देकर सनातन समाज में दरार डालने की कोशिश अत्यंत निंदनीय है। यह धर्म नहीं, बल्कि समाज को कमजोर करने का प्रयास है। हमें सजग रहना होगा कि ऐसी घटनाएं हमारी एकता और आध्यात्मिकता को खंडित न कर सकें।”
🙏 उन्होंने अंत में अपील की कि समाज शांति बनाए रखे, और धर्म के नाम पर किसी भी प्रकार की हिंसा या उन्माद को प्रश्रय न दे।
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