ये दोनों स्थान राष्ट्रपति के जन्म स्थान कानपुर देहात के गांव परौंख के नजदीक हैं, जहां 27 जून को उनके सम्मान में दो कार्यक्रम होने हैं। ट्रेन में चढ़ते ही, राष्ट्रपति अपनी पुरानी स्मृतियों की यात्रा करेंगे, जिनमें उनके बचपन से लेकर देश के शीर्ष संवैधानिक पद तक पहुंचने तक का सात दशक का जीवनकाल कवर होगा।
ऐसा पहली बार है कि राष्ट्रपति अपना वर्तमान पद संभालने के बाद पहली बार अपने जन्म स्थान का भ्रमण करेंगे। हालांकि उन्होंने पहले भी यहां की यात्रा की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन महामारी के चलते यह योजना अमल में नहीं आ सकी।
सफर के साधन के रूप में ट्रेन के विकल्प को चुनना कई राष्ट्रपतियों की परम्परा की तर्ज पर है, जो देश के विभिन्न भागों के लोगों से जुड़ने के लिए ट्रेन से सफर पर निकला करते थे।
इस प्रकार, कोई वर्तमान राष्ट्रपति 15 साल के अंतराल के बाद ट्रेन की यात्रा पर निकलेंगे। पिछली बार एक राष्ट्रपति ने वर्ष 2006 में ट्रेन की यात्रा की थी, जब डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) के कैडेट्स की पासिंग आउट परेड में शामिल होने के लिए एक विशेष ट्रेन से दिल्ली से देहरादून के लिए रवाना हुए थे।
रिकॉर्ड बताते हैं कि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कई बार ट्रेन का सफर किया था। राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, उन्होंने बिहार की यात्रा के दौरान अपने जन्म स्थान सिवान जिले में जिरादेई का भ्रमण किया था। वह राष्ट्रपति की विशेष ट्रेन से छपरा से जिरादेई पहुंचे, जहां उन्होंने तीन दिन बिताए थे। उन्होंने ट्रेन से पूरे देश की यात्रा की थी।
डॉ. प्रसाद के बाद राष्ट्रपति बनने वालों ने भी देश के लोगों के साथ जुड़ने के लिए ट्रेन के सफर को प्राथमिकता दी थी।
28 जून को, राष्ट्रपति राज्य की राजधानी लखनऊ की अपनी दो दिवसीय यात्रा के लिए कानपुर सेंट्रल स्टेशन से ट्रेन से रवाना होंगे। 29 जून को, वह एक विशेष विमान से नई दिल्ली लौट आएंगे।
पी आई बी
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