कोविड उपयुक्त व्यवहार का सामुदायिक स्वामित्व, साक्ष्य आधारित रिपोर्टिंग और कोविड व टीकाकरण पर मिथकों को खत्म करना: तीन सूत्री रणनीति की रूपरेखा

टीका लेने को लेकर हिचकिचाहट से लड़ने में मीडिया एक महत्वपूर्ण हितधारक है

नई दिल्ली 2 जुलाई।केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने यूनिसेफ के साथ साझेदारी में आज भारत में कोविड-19 की मौजूदा स्थिति पर पूर्वोत्तर और दक्षिणी राज्यों के मीडिया पेशेवरों व स्वास्थ्य संवाददाताओं के लिए क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया। कोविड टीकों व टीकाकरण के बारे में मिथकों को खत्म करने और कोविड उपयुक्त व्यवहार (सीएबी) के महत्व को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। इस कार्यशाला में असम, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, मणिपुर, नगालैंड, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के मीडिया पेशेवरों व स्वास्थ्य संवाददाताओं ने वर्चुअल माध्यम के जरिए हिस्सा लिया।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव श्रीमती आरती आहूजा ने इस कार्यशाला को संबोधित किया। इसमें 200 से अधिक स्वास्थ्य से जुड़ी खबरें करने वाले पत्रकार व डीडी न्यूज, आकाशवाणी, विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। उन्होंने सभी मीडिया पेशेवरों को कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में उनके निरंतर प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि मीडियाकर्मी समाज के प्रमुख प्रभावकारी व्यक्ति होते हैं। उन्हें लोगों को टीकाकरण और मिथकों व फर्जी खबरों को खत्म करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने मीडियाकर्मियों से सकारात्मक कहानियों और रोल मॉडलों को सामने लाने का आग्रह किया, जिससे निरंतर सकारात्मक सुदृढ़ीकरण हो सके। वहीं उन्होंने कोविड के दौरान मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को भी रेखांकित किया और मीडियाकर्मियों से अपने संदेश के माध्यम से इसे संबोधित करने का अनुरोध किया। उन्होंने कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है।

भारत सरकार की कोविड रणनीति का एक संक्षिप्त स्नैपशॉट देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री लव अग्रवाल ने सामुदायिक गतिशीलता और व्यवहार परिवर्तन संचार के मुद्दे को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कोविड के खिलाफ लड़ाई के तीन महत्वपूर्ण घटक हैं- कोविड उपयुक्त व्यवहार का सामुदायिक स्वामित्व, साक्ष्य आधारित रिपोर्टिंग और कोविड व टीकाकरण पर मिथकों को खत्म करना। भारत की विशिष्ट चुनौतियों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कोविड महामारी से लड़ने के लिए एक सक्रिय, पहले से अधिकृत और श्रेणीबद्ध दृष्टिकोण का अनुपालन किया है।

सरकार के प्रयासों और पहलों की एक विस्तृत रूप-रेखा देते हुए, उन्होंने रेखांकित किया कि भारत ने वर्तमान में देश में 2,675 परीक्षण सुविधाओं के साथ परीक्षण सुविधाओं में 35.6 गुना बढ़ोतरी हासिल की है, जबकि लॉकडाउन से पहले केवल 75 प्रयोगशालाएं थीं। कुल आइसोलेशन बिस्तरों (ऑक्सीजन युक्त और बिना ऑक्सीजन युक्त) की संख्या लॉकडाउन से पहले 10,180 की तुलना में बढ़कर 18.12 लाख से अधिक हो गई है। इस महामारी के शुरुआती चरणों में केवल 2,168 आईसीयू बिस्तर थे, अब इनकी संख्या बढ़कर 1.21 लाख से अधिक हो गई है। उन्होंने बताया कि एन-95 मास्क और पीपीई किट की उपलब्धता बढ़कर क्रमश: 1.46 करोड़ व 1.02 करोड़ से अधिक हो गई। उन्होंने आगे कहा कि भारत में मार्च, 2020 में एक भी पीपीई किट का निर्माता नहीं था, अब इसके 1,100 स्वदेशी निर्माता हैं।

टीका लगाने को लेकर हिचकिचाहट से लड़ने के लिए मीडिया को एक महत्वपूर्ण हितधारक मानते हुए, उन्होंने कहा कि भारत में टीके की 33.5 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं। उन्होंने मीडियाकर्मियों से रोल-मॉडल और सामुदायिक नायकों को सामने लाकर एक जन आंदोलन शुरू करने का आग्रह किया। टीका लेने को लेकर हिचकिचाहट के विभिन्न कारणों के अलावा, जो स्थानीय हो सकता है और विभिन्न सामुदायिक समूहों के लिए भिन्न हो सकते हैं, इस कार्यशाला ने टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटना (एईएफआई), इसके प्रबंधन और एईएफआई पर रिपोर्टिंग करते समय सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों को रेखांकित किया। इस कार्यशाला के दौरान मीडियाकर्मियों के विभिन्न सवालों के जवाब भी दिए गए।

इस राष्ट्रीय कार्यशाला में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, यूनीसेफ, डीडी न्यूज, पीआईबी, आकाशवाणी के वरिष्ठ अधिकारियों व देशभर में स्वास्थ्य संबंधी खबरें करने वाले पत्रकारों ने हिस्सा लिया।

पी आई बी

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