जालौन 21जुलाई।आज़ राष्ट्रीय आम दिवस है
और आज़ हम आपको रुबरु करानें जा रहें हैं आम से
जिसे कि फलों का राजा भी कहा जाता है
आम के इतिहास की अगर बात करें तो ऐसा माना जाता है लगभग 5000 साल पहले 1498 में भारत में इस पेड़ को लगाया गया था।
हालांकि कुछ लोगों का मानना यह भी है कि भारत में आम का पहला पेड़ भगवान बुद्ध ने लगाया था
भारत में आम की करीब 100 किस्में पाई जाती है और यह मार्च के महीने से शुरू होकर जून तक बहुतायत पाया जाता है हालांकि कुछ व्यापारियों द्वारा इसे कोल्डस्टोरेज में रखकर अगले दो तीन महीने तक इसका व्यापार किया जाता है।
बैसे तो आप लोगों को आम का जूस अब रेडीमेड बोतलों में बंद पूरे साल मिलता है लेकिन मौसमी फल को यदि उसी समय खाया जाए जब यह पेड़ों पर पकता है तो इसमें मौजूद विटामिन और कई अन्य पोषक तत्व शरीर में ज़रुरी आवश्यकताओं की पूर्ति करते रहते हैं।
और आम से जुड़ी एक दिलचस्प बात आपको बताते चलें कि बुंदेलखंड के प्रवेश द्वार कालपी में आम के पेड़ या आम का बाग नहीं लग सकता है।
और अगर पेड़ लग भी गया तो फल नहीं आते है
इसके पीछे भी एक कहावत है कि एक बार यमुना नदी के किनारे एक संत तपस्या कर रहे थे एक दिन उन्होंने थोड़ी दूर पर स्थित आम के बागीचे में रखवाली कर रहे किसान से कहा कि बहुत भूख लगी है कुछ आम तोड कर खा लूं
तो किसान ने बुरी तरह से फटकारते हुए उन्हें वहां से भगा दिया तो उन संत के साथ मौजूद एक मुनि ने यमुना नदी का जल हाथ में लेकर श्राप दिया कि जाओ आज के बाद तुम भी इन आमों का स्वाद नहीं चख पाओगे
उसके बाद आज़ तक कालपी में आम का बागीचा देखने को नहीं मिलता है।
और हां कालपी के दोनों ओर करीब दो तीन किलोमीटर के दायरे के बाहर आम और अन्य मौसमी फलों के लहलहाते पेड़ और बागीचे दिख जाएंगे।

 

संवाददाता देवेश कुमार स्वर्णकार की

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