आजादी का अमृत महोत्सव लोगों के उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है: श्री जी. किशन रेड्डी

गरीबी, असमानता, निरक्षरता और आतंकवाद को भारत छोड़ो कहने का समय आ गया है: संस्कृति मंत्री

नई दिल्ली9 अगस्त।केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री (डोनर) श्री जी. किशन रेड्डी ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय अभिलेखागार में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की 79वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल और श्रीमती मीनाक्षी लेखी भी इस अवसर पर उपस्थित थीं।

आजादी के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ पर एक प्रदर्शनी राष्ट्रीय अभिलेखागार में लगाई गई है। संस्कृति सचिव, श्री राघवेंद्र सिंह; महानिदेशक, एनएआई श्री चंदन सिन्हा; संस्कृति मंत्रालय में अपर सचिव श्री रोहित कुमार सिंह और श्री पार्थ सारथी सेन शर्मा; संयुक्त सचिव, सुश्री अमिता प्रसाद सरभाई, सुश्री लिली पांडेय और संस्कृति मंत्रालय व राष्ट्रीय अभिलेखागार के अन्य अधिकारी भी उद्घाटन समारोह के दौरान उपस्थित थे।

 

इस प्रदर्शनी में सार्वजनिक अभिलेखों, निजी पत्रों, मानचित्रों, तस्वीरों और अन्य प्रासंगिक सामग्री के माध्यम से भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भारत छोड़ो आंदोलन के महत्व को दर्शाने का प्रयास किया गया है। यह प्रदर्शनी 9 अगस्त को सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक 8 नवंबर, 2021 तक जनता के लिए खुली रहेगी।

 

प्रदर्शनी के अवलोकन के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए, श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम एकता, शक्ति और दृढ़ संकल्प के स्वर्णिम अध्यायों से सजा हुआ है और ऐसी ही एक गौरवपूर्ण घटना भारत छोड़ो आंदोलन थी और लगभग आठ दशक बाद भी, यह आंदोलन जनता की शक्ति का एक बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन आने वाले कई दशकों तक ऐसा ही रहेगा।

संस्कृति मंत्री ने आजादी का अमृत महोत्सव थीम के तहत आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से भारत की आजादी के 75वें वर्ष का जश्न मनाने के बारे में जानकारी दी। यह कार्यक्रम इस साल मार्च में शुरू हुआ, जिससे हमारी आजादी की 75वीं वर्षगांठ के लिए 75 सप्ताह की उलटी गिनती शुरू हुई और एक साल के बाद यानी 15 अगस्त, 2023 को यह समाप्त होगी। श्री रेड्डी ने कहा, “यह न केवल हमारे राष्ट्र को स्वतंत्र करने में एक पीढ़ी के योगदान को याद करने का क्षण है। औपनिवेशिक शक्तियों के साथ-साथ उन लोगों को भी जानना है जिन्होंने 750 वर्षों से अधिक समय तक हमारी सभ्यता की विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत माता को दी गई निस्वार्थ सेवाओं के लिए कई गुमनाम नायकों को पहचाने जाने की जरूरत है।”

श्री किशन रेड्डी ने यह भी कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव एकता और आजादी की भावना का जश्न है, क्योंकि हम सब मिलकर आजादी के 75 वर्ष का जश्न मना रहे हैं। श्री किशन रेड्डी ने मीडिया से एकता के संदेश का प्रसार करने की सरकार की पहल और अब से 25 साल बाद भारत को आज के युवाओं द्वारा आगे बढ़ाये जाने को देखने के प्रधानमंत्री के सपने का समर्थन करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने अक्सर इस बारे में चर्चा की है कि कैसे यह आयोजन युवाओं को 2047 के भारत की कल्पना करने के लिए प्रेरित करेगा।”

 

श्री रेड्डी ने सभी लोगों को आजादी का अमृत महोत्सव में भाग लेने और इसे लोगों का त्योहार बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, “आज़ादी का अमृत महोत्सव एक सरकारी कार्यक्रम नहीं है, बल्कि इसकी परिकल्पना आम जनता के एक उत्सव के रूप में की गई है जिसमें प्रत्येक भारतीय की भागीदारी दिखाई देगी। इस आयोजन को पूरी भव्यता के साथ सफल बनाने के लिए सभी क्षेत्रों,  भाषाओं और राजनीतिक विचारों के लोग इसमें भाग लेंगे।”

इससे पहले, भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ी प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के बाद आगंतुक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करते हुए श्री किशन रेड्डी ने लिखा, “अब जबकि हम भारत छोड़ो आंदोलन के 79वें वर्ष का जश्न मना रहे हैं, इस आंदोलन के आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं। 1942 में महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन ने औपनिवेशिक ताकतों को खदेड़ दिया। आज के नए भारत में, जैसा कि पिछले साल प्रधानमंत्री द्वारा साझा किया गया था, हम सभी गरीबी, असमानता, अशिक्षा, खुले में शौच, आतंकवाद और भेदभाव को मिटाने और इन बुराइयों को भारत छोड़ो कहने का संकल्प ले सकते हैं।”

केन्द्रीय मंत्री और उनके समकक्षों ने सभी को राष्ट्रगान गाने और अपने वीडियो www.rashtragaan.in पर अपलोड करने के लिए भी प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, “मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ समारोह के एक हिस्से के रूप में, संस्कृति मंत्रालय अपनी तरह का पहला जन आधारित ‘राष्ट्र गान’ अभियान चला रहा है, जिसमें कोई भी हमारा राष्ट्रगान गा सकता है और इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग www.rashtragaan.in पर अपलोड कर सकता है। इस तरह के सभी वीडियो संकलित कर इस स्वतंत्रता दिवस पर प्रसारित किए जायेंगे। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि www.rashtragaan.in पर हमारा राष्ट्रगान गाते हुए अपना वीडियो अपलोड करके एकीकरण के इस अनूठे कार्यक्रम का हिस्सा बनें।” मंत्रियों ने इस अवसर का उपयोग राष्ट्रगान गाने और अपने वीडियो अपलोड करने के लिए भी किया।

(राष्ट्रगान गाते हुए और इसके वीडियो को www.rashtragaan.in पर अपलोड करते हुए)

इस प्रदर्शनी से जुड़े इतिहास पर प्रकाश डालते हुए, श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि महात्मा गांधी सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं की गिरफ्तारी के बाद भारत छोड़ो आंदोलन स्वतः स्फूर्त तरीके से देशभर में फैल गया था। उस दौरान आंदोलन की कमान राम मनोहर लोहिया, अरुणा आसफ अली, जयप्रकाश नारायण जैसे युवाओं के हाथों में चली आई। 1942 के युवाओं ने अपने नेतृत्व कौशल और जनभागीदारी के माध्यम से इस चुनौती को अवसर में बदल दिया और अंग्रेजों को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया। श्री मेघवाल ने कहा, “इस प्रदर्शनी के आयोजन के लिए  राष्ट्रीय अभिलेखागार की टीम बधाई की पात्र है।”

 

श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। महात्मा गांधी के नेतृत्व में देशभर के लोग साम्राज्यवाद को उखाड़ फेंकने के लिए एक साथ आए। 1942 में आज ही के दिन गांधीजी ने अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने के लिए सभी भारतीयों को ‘करो या मरो’ का नारा दिया था। हमें आजादी तभी मिली जब इस देश के आम लोग इस आंदोलन में शामिल हुए। श्रीमती मेनाक्षी लेखी ने कहा, “आज स्वतंत्रता आंदोलन की भावना पर इसलिए प्रकाश डाला जा रहा है ताकि युवा और आने वाली पीढि़यां उस समय के हमारे देशवासियों द्वारा किए गए बलिदानों के बारे में जान सकें।”

 

इस प्रदर्शनी में कई खंड हैं, जो भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ी परिस्थितियों को रेखांकित करते हैं-  यह कैसे एक जन आंदोलन बन गया, भारत छोड़ो आंदोलन के नायक, जमीन पर इसका प्रभाव, इस आंदोलन की छाप, औपनिवेशिक शासकों द्वारा अत्याचार और अन्य लोगों पर इसका असर।

महात्मा गांधी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन 8 अगस्त, 1942 को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत में ब्रिटिश शासन की समाप्ति की मांग के साथ शुरू किया गया था।

गणमान्य व्यक्तियों ने अपना महत्वपूर्ण समय पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन पर लिखी गई कविता, जोकि 1946 में श्री मदन मोहन मालवीय से जुड़े एक समाचार पत्र अभ्युदय में प्रकाशित हुई थी, के पाठ में बिताया और भारत छोड़ो आंदोलन का सार प्रस्तुत करने वाली इस कविता की प्रसिद्ध पंक्तियों “कोटि कोटि कंठों से निकला भारत छोड़ो नारा, आज ले रहा अंतिम सांस ये शासन हत्यारा” की सराहना की।

1942 का भारत छोड़ो आंदोलन विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसने अंग्रेजों को यह समझा दिया कि भारत पर शासन जारी रखना अब संभव नहीं होगा और उन्हें इस देश से बाहर निकलने के तरीकों के बारे में सोचने के लिए मजबूर किया। इस आंदोलन के दौरान अहिंसक तरीके से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया जिसको देखते हुए महात्मा गांधी ने “भारत से ब्रिटिश शासन की एक व्यवस्थित वापसी” का आह्वान किया। अपने भाषणों के माध्यम से, गांधीजी ने यह घोषणा करके लोगों को प्रेरित किया कि “हर भारतीय जो स्वतंत्रता चाहता है और इसके लिए प्रयास करता है, उसे स्वयं अपना मार्गदर्शक होना चाहिए …” 8 अगस्त 1942 को इस आंदोलन की शुरूआत करते हुए गांधीजी ने अपने ऐतिहासिक “करो या मरो” भाषण में यह घोषणा की कि, “हर भारतीय खुद को एक आजाद व्यक्ति माने।”

 

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