नई दिल्ली 5 नवम्बर।लीशमैनिया डोनोवानी (कालाजार रोग परजीवी), के रोगजनन क्षमता एवं उसके अस्तित्व की रणनीति को समझने की दिशा में किए गए उनके महत्वपूर्ण शोध कार्य/योगदान को मान्यता देने के लिए सोसाइटी ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्स (इंडिया)नेडॉ सुशांत कार, वरिष्ठ वैज्ञानिक, मोलेक्युलर पेरासीटोलोजी एंड इम्यूनोलॉजीविभाग, सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ को इस साल के प्रोफेसर ए.एन. भादुड़ी मेमोरियल लेक्चर अवार्ड के लिए चुना है।

लीशमैनिया डोनोवानी एक प्रोटोजोअन परजीवी है जो मैक्रोफेजकोशिकाओं को संक्रमित करता है और दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करने वाले एक घातक संक्रामक रोग,लीश्मेनीयासिस (कालाजार) का मुख्य कारक है। डॉ सुशांत कार की रिसर्च टीम मैक्रोफेज, डेंड्राइटिक कोशिकाओं और टी कोशिकाओं जैसी विभिन्न प्रतिरक्षा कोशिकाओं के साथ लीशमैनिया परजीवी के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन कर रही है और इसके संक्रमण को प्रभावित करने वाले विभिन्न इंट्रासेल्युलर सिग्नलिंग कैस्केड के मॉड्यूलेशन पर इनकी प्रतिक्रिया का भी अध्ययन कियाजा रहा है।जिस से इस रोग के इलाज एवं बचाव हेतु नई दवाएं विकसित करने में मदद मिल सके।

सोसायटी ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्स (इंडिया) ने देश में जैविक विज्ञान के विकास हेतु शोधकर्ताओं / वैज्ञानिकों द्वारा किए गए सराहनीय और महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देने के लिए कई पुरस्कारों की स्थापना की है। द सोसायटी ऑफ़ बायोलॉजिकल केमिस्ट्स (इंडिया) या एसबीसी(आई) की स्थापना वर्ष 1930 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु में हुई थी। यह प्रतिष्ठित वैज्ञानिक समिति मैसूर की तत्कालीन रियासत में सोसायटी अधिनियम के तहत पंजीकृत की गई थी।

प्रोफेसरए.एन. भादुड़ी मेमोरियल लेक्चर अवार्ड प्रत्येक दो वर्षों में प्रदान किया जाता है। पुरस्कार के प्राप्तकर्ता की आयु 50 वर्ष से कम होनी चाहिए। पुरस्कार जैविक रसायन विज्ञान और संबद्ध विज्ञान के लिए दिया जाता है, अधिकांशतः परजीवी संक्रमण से संबंधितउत्कृष्ट शोध कार्य को वरीयता दी जाती है। पुरुस्कार विजेता को एसबीसी(आई)की वार्षिक बैठक में पुरस्कार प्रदान किया जाता है जहां उसे एक पुरुस्कार व्याख्यान भी देना होता है।

 

 

 

पी आई बी

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