https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001ETCN.jpg

 

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0027LKT.jpg

 

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0034EQT.jpg

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने इस वर्ष पहली बार प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण– वोकल फॉर लोकल को सार्थक बनाने के लिए ऑनलाइन और स्टोर के माध्यम से दीया बेचने का फैसला किया। केवीआईसी ने 8 अक्टूबर को दीये की ऑनलाइन बिक्री शुरू की और एक महीने से भी कम समय में लगभग 10,000 दीये पहले ही ऑनलाइन बिक चुके हैं।  केवीआईसी की ऑनलाइन बिक्री के शुरू होने के बाद पहले दिन से ही मिट्टी के दीयों की भारी मांग रही और 10 दिनों से भी कम समय में डिजाइनर दीयों को पूरी तरह से बेच दिया गया था।

इसके बाद, केवीआईसी ने डिजाइनर दीयों के नए सेट लॉन्च किए, जो भारी मांग में भी हैं। दीवाली के निकट आने के साथ ही दीयों की बिक्री भी बढ़ रही है।

केवीआईसी ने 8 प्रकार के डिजाइनर दीये लॉन्च किए हैं, जिनकी कीमत 84 रुपये से लेकर 12 के सेट के लिए 108 रुपये है। केवीआईसी इन दीयों पर 10 प्रतिशत की छूट भी दे रहा है। केवीआईसी से जुड़े कुम्हारों ने खुशी व्यक्त की है कि वे हर दीये की बिक्री पर 2 रुपये से 3 रुपये कमा रहे हैं। खादी के डिजाइनर दीये वेबसाइट www.khadiindia.gov.in पर उपलब्ध हैं।

केवीआईसी दिल्ली और अन्य शहरों में अपने आउटलेट के माध्यम से दीया और अन्य मिट्टी की वस्तुओं जैसे लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों और अन्य सजावट के सामान भी बेच रहा है। ये मूर्तियां वाराणसी, राजस्थान, हरियाणा और अन्य राज्यों में कुम्हारों द्वारा बनाई जा रही हैं और कुम्हारों के लिए अच्छी आय का जरिया बन रही हैं। दूसरी ओर, राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले के जैसलमेर और रावतसर में पोखरण में केवीआईसी इकाइयों से खरीदे जा रहे हैं। विभिन्न खादी आउटलेट्स के माध्यम से 10,000 से अधिक दीये भी बेचे गए हैं।

केवीआईसी के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि मिट्टी की वस्तुओं की ऑनलाइन बिक्री वास्तविक अर्थों में केवीआईसी से जुड़े कुम्हारों का सशक्तिकरण है। श्री सक्सेना ने कहा, ‘पहले एक विशेष क्षेत्र के कुम्हार केवल स्थानीय रूप से अपनी वस्तुओं को बेचते थे, लेकिन भारत के खादी के ई-पोर्टल तक पहुंच के साथ, ये उत्पाद देश के हर हिस्से में बेचे जा रहे थे। केवीआईसी ई-पोर्टल के माध्यम से, राजस्थान में निर्मित दीये अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, केरल, असम, महाराष्ट्र, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जैसे दूरस्थ राज्यों में खरीदे जा रहे हैं। इसने उत्पादन में वृद्धि और कुम्हारों की उच्च आय को प्रेरित किया है।’ श्री सक्सेना ने कहा, ‘कुम्हारों को सशक्त बनाना और मिट्टी के बर्तनों को पुनर्जीवित करना प्रधानमंत्री का सपना है।’

पोखरण में पीएमईजीपी इकाई के ऐसे ही एक कुम्हार मदन लाल प्रजापति ने कहा कि यह पहली बार है जब वह अपने गांव के बाहर दीये बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार की दिवाली में हमारी बिक्री में तेजी आई है। हम दिल्ली में खादी भवन में अपने दीये की आपूर्ति कर रहे हैं और वहां से इसे पूरे देश में ऑनलाइन बेचा जा रहा है। यह मुझे अच्छी आय दिला रहा है।

यह बात उल्लेखनीय है कि केवीआईसी ने इन कुम्हारों को प्रशिक्षित किया है और उन्हें कुम्हार सशक्तिकरण योजना के तहत बिजली के चाक और अन्य उपकरण प्रदान किए हैं, जिससे उनके उत्पादन और आय में 5 गुना तक वृद्धि हुई है। केवीआईसी ने अब तक कुम्हार समुदाय के 80,000 से अधिक लोगों को लाभान्वित करने वाले 18,000 से अधिक इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील्स वितरित किए हैं।

 

पी आई बी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *