ये वो जगह है जहां अनेक जाने-अनजाने स्वतंत्रता सेनानियों ने अमानवीय यातनाएं सहकर और अपना सर्वस्व बलिदान देकर भी वंदे मातरम और भारत माता की जय का उद्घोष किया है

देशभर के लोगों के लिए अंग्रेज़ों द्वारा बनाई गई सेल्युलर जेल सबसे बड़ा तीर्थस्थान है, इसीलिए सावरकर जी कहते थे कि तीर्थों में ये महातीर्थ है जहां आज़ादी की ज्योति प्रज्वलित करने के लिए अनेक हुतात्माओं ने बलिदान दिए हैं

ये वर्ष आज़ादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है, आज़ादी के संग्राम से प्रेरणा लेकर फिर से स्वंय को देश के लिए समर्पित करने का वर्ष है, जब देश की आज़ादी के सौ साल पूरे होंगे, तब भारत कितना महान होगा, इसका संकल्प लेने का वर्ष है

देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष को बहुत उत्साह के साथ आज़ादी का अमृत महोत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया है और देश की जनता इस फ़ैसले से ना केवल ख़ुश है बल्कि इसमें सहभागी बनने के लिए उत्साहित भी है

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने का निर्णय इसलिए लिया है ताकि देशवासियों और विशेषकर युवा पीढ़ी को आज़ादी के संग्राम की जानकारी मिले

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का देश भर के युवाओं को देश के विकास, भविष्य और देश को महान बनाने के संकल्प के साथ जोड़ने का सपना है

विजयादशमी को बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है और आज़ादी का ये तीर्थस्थल भी बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है, यहीं पर ये संकल्प लिया गया था कि भारत को कोई ग़ुलाम नहीं रख सकता

देश को आज़ाद हुए 75 साल होने वाले हैं और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने दुनिया में अपना स्थान प्रथम पंक्ति के लोकतांत्रिक देश के रूप में प्रस्थापित किया है

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत जिस रास्ते पर आगे बढ़ा है, जिस रास्ते पर चलकर सात साल में लंबी मंज़िल तयकर हम यहां खड़े हैं, वो पीछे मुड़ने का नहीं बल्कि आगे बढ़ने का रास्ता है

पश्चिम बंगाल का देश के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा और विशिष्ट योगदान रहा है, सबसे ज़्यादा स्वतंत्रता सेनानी बंगाल और पंजाब से यहां आए

वीर सावरकर को वीर की उपाधि सरकार ने नहीं दी, करोड़ों लोगों ने सावरकर जी के नाम के आगे वीर शब्द जोड़ा है, उनके पराक्रम और देशभक्ति की स्वीकारोक्ति के लिए जोड़ा है

आज कुछ लोग सावरकर जी के जीवन पर सवाल उठा रहे हैं, बड़ा दुख होता है, दर्द होता है, वेदना होती है कि जिस व्यक्ति को एक ही जीवन में दो बार सज़ा हुई, उसकी देशभक्ति पर सवाल उठा रहे हैं

देश की जनता ने बड़े मन से, अति सम्मान और श्रद्धा के साथ सावरकर जी के नाम के आगे वीर शब्द जोड़ा है जिसे कोई मिटा नहीं सकता

सभी देशवासियों से अपील की कि वे एक बार यहां अवश्य आएँ और हुतात्माओं को श्रद्धांजलि दें

मोदी जी ने 2014 से देश में परिवर्तन की शुरुआत की है जिस पर हम गौरव कर सकें, दुनिया में कहीं भी बसने वाला भारतीय गौरव कर सके

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ऐसे भारत की रचना का बीड़ा उठाया है जो सुरक्षित भी होगा, समृद्ध भी होगा और संस्कारी भी होगा

अंडमान निकोबार मे जो कनेक्टिविटी की समस्या थी इसके लिए मोदी जी ने 2018 में सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर योजना की नींव रखी और 2020 में मोदी जी ने ही इसका लोकार्पण किया

मोदी जी ने यह एक नई संस्कृति बनाई है नींव भी उनकी ही सरकार करती है और उद्घाटन भी उनकी ही सरकार करती है।

नई दिल्ली 15 अक्टूबर।केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह अपनी तीन दिवसीय अंडमान-निकोबार यात्रा के पहले दिन आज पोर्ट ब्लेयर में ऐतिहासिक सेल्युलर जेल स्थित शहीद स्तंभ गए और महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर समेत सभी शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। श्री अमित शाह ने सेल्युलर जेल का दौरा भी किया। उन्होंने गो-गो टूरिस्ट बसों को झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल एडमिरल (सेवानिवृत्त) डी के जोशी और केन्द्रीय गृह सचिव समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

श्री अमित शाह ने आज़ादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें दूसरी बार आज़ादी के इस तीर्थस्थल पर आने का मौक़ा मिला है और वो जब भी यहां आते हैं, एक नई ऊर्जा और प्रेरणा लेकर जाते हैं। उन्होंने कहा कि ये वो जगह है जहां अनेक जाने-अनजाने स्वतंत्रता सेनानियों ने अमानवीय यातनाएं सहकर और अपना सर्वस्व बलिदान देकर भी वंदे मातरम और भारत माता की जय का उद्घोष किया है। देशभर के लोगों के लिए अंग्रेज़ों द्वारा बनाई गई ये सेल्युलर जेल सबसे बड़ा तीर्थस्थान है और इसीलिए सावरकर जी कहते थे कि तीर्थों में ये महातीर्थ है जहां आज़ादी की ज्योति प्रज्वलित करने के लिए अनेकानेक हुतात्माओं ने बलिदान दिए हैं।

श्री अमित शाह ने कहा कि उनकी इस तीर्थस्थान की ये यात्रा इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये वर्ष आज़ादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है, आज़ादी के संग्राम से प्रेरणा लेकर फिर से अपने आप को देश के लिए समर्पित करने का वर्ष है और जब देश की आज़ादी के सौ साल पूरे होंगे, तब भारत कितना महान होगा, इसका संकल्प लेने का वर्ष है। उन्होंने कहा कि इसीलिए देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस वर्ष को बहुत उत्साह के साथ आज़ादी का अमृत महोत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया है और देश की जनता इस फ़ैसले से ना केवल ख़ुश है बल्कि इसमें सहभागी बनने के लिए उत्साहित भी है। श्री शाह ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन की इस तपोस्थली, संकल्पस्थली पर आज सबसे पहले हज़ारों स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और उनके संकल्प को सम्मानपूर्वक नमन करता हूं।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज विजयादशमी है और इस दिन को बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है और आज़ादी का ये तीर्थस्थल भी बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यहीं पर ये संकल्प लिया गया था कि भारत को कोई ग़ुलाम नहीं रख सकता, कितना भी ताक़तवर शासन हो, उसे कोई अधिकार नहीं है इस महान देश को ग़ुलाम बनाने का। उन्होंने कहा कि देश को आज़ाद हुए 75 साल होने वाले हैं और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने दुनिया में अपना स्थान प्रथम पंक्ति के लोकतांत्रिक देश के नाते प्रस्थापित किया है और आज उन सभी हुतात्माओं को सुकून और शांति का अनुभव होता होगा। श्री अमित शाह ने कहा कि अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत जिस रास्ते पर आगे बढ़ा है और जिस रास्ते पर चलकर सात साल में लंबी मंज़िल काटकर हम यहां खड़े हैं, वो पीछे मुड़ने का नहीं बल्कि आगे बढ़ने का रास्ता है। ये रास्ता सावरकार, सान्याल और भाई परमानंद जैसे वीर स्वतंत्रता सेनानियों की संकल्पना का भारत बनाने का रास्ता है।

श्री अमित शाह ने कहा कि आज उन्होंने स्वतंत्रता वीर सचिन सान्याल जी की कोठरी में जाकर उनके चित्र पर माल्यार्पण किया और ये उनके लिए भावविभोर होने वाला क्षण था। सभी स्वतंत्रता सेनानियों में सचिन सान्याल ही एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें दो बार कालापानी की सज़ा दी गई थी। पश्चिम बंगाल का देश के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा और विशिष्ट योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि सबसे ज़्यादा स्वतंत्रता सेनानी बंगाल और पंजाब से यहां पर आए। ये पूरे देश के लिए गौरव की बात है कि जब सचिन सान्याल इतनी यातनाएं सहन करने के बाद जब वापस गए तो भी उन्होंने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ संघर्ष नहीं रोका और मां भारती को ग़ुलामी की ज़ंजीरों से स्वतंत्र कराने का अपना अभियान भी नहीं रोका।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज यहां वीर सावरकर को याद किए बिना कैसे रह सकते हैं। सेल्युलर जेल को अपने मनोभाव से तीर्थस्थान बनाने का काम सावरकर जी ने किया। उन्होंने पूरी दुनिया में एक संदेश दिया कि कितनी भी यातनाएं दो, कितना भी अमानवीय बर्ताव कर लो, लेकिन मेरे देश को स्वतंत्र करने के मेरे जन्मसिद्ध अधिकार को आप रोक नहीं सकते और इसकी सिद्धि वीर सावरकर ने यहां की। श्री शाह ने कहा कि आज उन्होंने यहां सभी तत्कालीन यातनास्थल देखे और दस साल में सावरकर जी ने ना जाने कितने अत्याचार सहे और कितने ही स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी पर चढ़ते देखा और फिर भी वीर सावरकर दृढ़ता के साथ स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े रहे।

श्री अमित शाह ने कहा कि वीर सावरकर को वीर की उपाधि सरकार या प्रशासन ने नहीं दी, बल्कि 130 करोड़ों लोगों ने सावरकर जी के नाम के आगे वीर शब्द जोड़ा है और उनके पराक्रम और देशभक्ति की स्वीकारोक्ति के लिए जोड़ा है। उन्होंने कहा कि आज कुछ लोग सावरकर जी के जीवन पर सवाल उठा रहे हैं, बड़ा दुख होता है, दर्द होता है, वेदना होती है कि जिस व्यक्ति को एक ही जीवन में दो बार सज़ा हुई, उस व्यक्ति की देशभक्ति पर आप सवाल उठा रहे हैं। जिस व्यक्ति ने कई किलोमीटर दूर स्टीमर से छलांग लगाकर भारत के लिए लड़ने का फ़ैसला किया, फ़्रांस की धरती पर जाने का फ़ैसला किया, उस व्यक्ति की वीरता पर आप प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। जो कोल्हू का बैल बनकर 30 पाउंड तेल निकालने की सज़ा झेलता रहा, उस व्यक्ति की देशभक्ति पर आप सवाल उठा रहे हैं, ऐसे लोगों को शर्म आनी चाहिए। एक बार इस तीर्थस्थान पर आकर देखो, आपकी सभी शंकाओं का समाधान हो जाएगा।

श्री अमित शाह ने कहा कि यहां स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में एक अमर ज्योति थी जो 24 घंटे और 365 दिन पूरे भारत को प्रेरणा देती थी और उस पर वीर सावरकर का नाम था और उसे उखाड़ दिया गया था। लेकिन, उखाड़ने वालों का समय लंबा नहीं होता है और आज गौरव के साथ वहां फिर वीर सावरकर का नाम है। उन्होंने कहा कि सावरकर जी के पास भी सब सुविधाएं थीं कि वो अपने निजी जीवन को अच्छे से जी सकें और वे बहुत विद्वान व्यक्ति थे और अनेक भाषाएं जानते थे। वे बहुत बड़े समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, ऊर्जावान वक्ता थे और मां सरस्वती की उनकी लेखनी पर बड़ी कृपा थी। वे बहुत बड़े विचारक, साहित्यकार थे और इतने वीर कि एक ही जीवन में दो बार कालापानी की सज़ा मिली, और उस व्यक्ति पर विवाद खड़ा हो। लेकिन देश की जनता ने बड़े मन से, अति सम्मान और श्रद्धा के साथ सावरकर जी के नाम के आगे वीर शब्द जोड़ा है जिसे कोई मिटा नहीं सकता।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि उनके जीवन की देश के प्रति समर्पण और देशभक्ति की उत्कृष्ट भावना का उदाहरण है कि जब सावरकर जी का शरीर काम नहीं कर सकता था, तब उन्होंने एक संदेश दिया कि मेरा शरीर अब भारत माता के काम का नहीं है और मैं अपने शरीर का आत्मविसर्जन करना चाहता हूं। खान-पान छोड़कर अपने आप को विसर्जित करके फिर से एक बार भारत माता की सेवा में आने के लिए जिस आदमी ने मार्ग प्रशस्त किया, वो दस साल अपने जीवन के यहां पर रहा है और इसीलिए ये तीर्थों में महातीर्थ, इसीलिए भारत के युवाओं के लिए प्रेरणास्थल है और इसीलिए यहां आकर ऊर्जा, प्रेरणा और शक्ति तीनों प्राप्त होती हैं।

श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने का निर्णय इसलिए लिया है ताकि देशवासियों और विशेषकर युवा पीढ़ी को आज़ादी के संग्राम की जानकारी मिले। हमारी युवा पीढ़ी को अनेकानेक जाने अनजाने और गुमनाम शहीदों की वीरता और उनके योगदान का परिचय मिले। श्री शाह ने कहा कि एक ओर आज़ादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से देश की युवा पीढ़ी में फिर एक बार देश के लिए कुछ करने का जज़्बा और देशभक्ति जागृत करना और दूसरी ओर इस देश को महान कैसे बनाया जाए, जैसा कि प्रधानमंत्री हमेशा कहते हैं भारत प्रथम, इसका संकल्प लेना है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने देशभर के युवाओं से आह्वान किया कि हम आज़ादी के बाद ही जन्मे हैं, हमें देश के लिए मरने का मौक़ा नहीं मिला मगर क्या हम देश के लिए जी सकते हैं, देश के लिए जीने का निर्णय कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम यह निर्णय करना चाहते हैं तो इसके लिए आज़ादी के अमृत महोत्सव से अच्छा मौक़ा और सेल्यूलर जेल से अच्छा कोई स्थान नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का देश भर के युवाओं को देश के विकास, देश के भविष्य और देश को महान बनाने के संकल्प के साथ जोड़ने का सपना है। श्री अमित शाह ने कहा कि मुझे बहुत गर्व है कि इसी आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में मैं  देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाली हुतात्माओं को श्रद्धांजलि देने इस तीर्थस्थल पर आया हूँ।

श्री अमित शाह ने कहा कि इस जेल का इतिहास है कि 1857 की क्रांति से लेकर 1938 तक अंग्रेजों के लिए जो सिरदर्द बन जाते थे उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को यहाँ लाया जाता था। लगभग एक हज़ार स्वाधीनता सेनानियों ने अपने जीवन के उत्तम वर्ष यहाँ यातनाएँ सहते सहते बिताए। कई लोगों ने यहीं पर दम तोड़ दिया और कई लोग पागल भी हो गए, लेकिन वे अंग्रेजों के सामने झुके नहीं। 1857 की क्रांति के बाद यहाँ जो पहला जत्था लाया गया उसमें से 90 प्रतिशत लोग सांस्कृतिक विद्वान, ज़मींदार, बड़े बड़े सेनानी और योद्धा थे। ऐसे लोगों को यहाँ मज़दूरी करवाकर जेल बनाने के काम में लगा दिया था लेकिन फिर भी उन्होंने माफ़ीनामा नहीं दिया। उन्होंने देश भक्ति की ज्वाला को एक पल के लिए भी बुझने नहीं दिया और निरंतर आज़ादी के लिए लड़ते रहे। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 1857 की क्रांति से आज़ादी तक न जाने कितने लोग यहाँ आए। महाराष्ट्र के फड़के जी, मणिपुर के स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा, पंजाब के ग़दर आंदोलन के योद्धा और बंगाल की अनुशीलन समिति के लोग आए और  अलिपुर मामले के स्वतंत्रता सेनानियों को यहाँ लाया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे वीर सेनानियों की एक लंबी सूची है जिन्होंने यहाँ माँ भारती के लिए यातनाएँ सहीं।

श्री अमित शाह ने कहा कि मैं देश भर के युवाओं से यह अपील करना चाहता हूँ कि हम स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा सही गई अनगिनत यातनाओं की तब तक कल्पना नहीं कर सकते जब तक हम सेल्यूलर जेल के इस महान तीर्थस्थल का यातनास्थल न देखें। किस प्रकार व्यक्ति की आत्मा और मनोबल को तोड़ने का प्रयास क्रूर अंग्रेज़ी शासन द्वारा यहाँ होता था यह उसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने सभी देशवासियों से अपील की कि वे एक बार यहां अवश्य आएँ और हुतात्माओं को श्रद्धांजलि दें। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वीर सावरकर और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने यहाँ अनेक रचनाएँ कीं जो आज भी युवाओं को देशभक्ति और राष्ट्र सृजन की प्रेरणा देती हैं। श्री अमित शाह ने कहा इन हुतात्माओं के प्रयास के कारण ही हम आज आज़ादी की साँस ले रहे हैं। आज गौरव के साथ हम दुनिया के सामने विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनकर खड़े हैं उसकी नींव इन्हीं महान स्वतंत्रता सेनानियों ने रखी थी।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी जी ने 2014 से देश में एक परिवर्तन की शुरुआत की है जिस पर हम गौरव कर सकें, दुनिया में कोई भी बसने वाला भारतीय गौरव कर सके, इस प्रकार के भारत की रचना की। इस प्रकार के भारत के निर्माण की शुरुआत 2014 से मोदी जी ने की, जिसमें संस्कृति और इतिहास की सुगंध भी होगी, सभी आधुनिक ज़रूरतें भी पूरी की जाएंगी और विकास की दृष्टि से पूरी दुनिया में उत्कृष्टता होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ऐसे भारत की रचना का बीड़ा उठाया है जो सुरक्षित भी होगा, समृद्ध भी होगा और संस्कारी भी होगा।

श्री अमित शाह ने कहा कि अंडमान निकोबार मे जो कनेक्टिविटी की  समस्या थी इसके लिए मोदी जी ने 2018 में सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर योजना की नींव रखी और 2020 में मोदी जी ने ही इसका लोकार्पण किया। मोदी जी ने एक नई कार्य संस्कृति बनाई, पहले सरकार योजना बनाती थी, 5 साल के बाद दूसरी सरकार नींव रखती थी, तीसरी सरकार बनाने का काम करती थी और चौथी सरकार उसका उद्घाटन करने का काम करती थी। श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी जी ने यह एक नई संस्कृति बनाई है नींव भी उनकी ही सरकार करती है और उद्घाटन भी उनकी ही सरकार करती है। उन्होंने कहा कि विकास की दृष्टि से और एडमिनिस्ट्रेशन को किस तरह से चलाया जा सकता है इसका उत्कृष्ट उदाहरण है और यह अंडमान निकोबार में भी दिखाई पड़ता है। वर्ष 2018 में नींव डालना और 2020 में इसका उद्घाटन करना। उन्होंने कहा कि 1224 करोड़ रूपये की समंदर के अंदर केबल डालना, प्रमुख द्वीपों को जोड़ना और पोर्ट ब्लेयर में 200 जीबीपीएस तथा अन्य द्वीपों में 100 जीबीपीएस की दूरसंचार की ब्रेंड उपलब्ध कराने का यह भगीरथ काम 2 साल में पूरा किया गया है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि एअरलिफ्ट पॉइंट भी मोदी जी ने बनाया। नेताजी यहां आए थे और सबसे पहला अंग्रेजों से स्वतंत्र होने का सम्मान भारत में अगर किसी भूभाग को है तो अंडमान निकोबार को है। भारत का राष्ट्र ध्वज सबसे पहले नेता जी ने 1943 में यहां पर फहराया था और उसी जगह पर 100 फुट ऊंचा तिरंगा फहराने का काम हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने किया है। तीन द्वीपों का पुन: नामकरण भी किया है, हैवलॉक द्वीप का नाम बदलकर स्वराजदीप, जो इन सारी अमृत आत्माओं की श्रद्धांजलि के रूप में नामकरण किया। नील द्वीप का नाम शहीद द्वीप, जिन्होंने यहां अपनी जान का बलिदान दिया उनको श्रद्धांजलि देने का काम किया और रॉस द्वीप का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा गया क्योंकि भले सुभाष चंद्र बोस ने 2 साल के अल्पकाल के लिए इस भूमि को स्वतंत्र कराया था मगर अब चिरकाल के लिए, सनातन काल के लिए यह भूमि स्वतंत्रता प्राप्त कर चुकी है। इसका प्रतीक यह सुभाष चंद्र बोस द्वीप है इसलिए उसका नाम रखा गया।

श्री अमित शाह ने कहा कि अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में 20 मेगा वाट ग्राउंड माउंटेन सोलर पावर प्लांट की स्थापना की गई, इलेक्ट्रॉनिक कार और बसों का उपयोग बढ़ाया गया है, 500 यात्री व 150 मालवाहक जहाज़ों की शुरुआत की गई है, स्मार्ट मीटरिंग का काम पूरा हो चुका है, धानी खाड़ी बांध की ऊंचाई बढ़ाकर पीने के पानी की व्यवस्था की गई है, मेडिकल कॉलेज 2015 में ही शुरू कर दिया गया है। जल जीवन मिशन के तहत द्रुत गति से काम शुरू हो गया है, प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत लगभग लगभग 478 ऋण स्वीकृत किए गए हैं जो शत-प्रतिशत के बाहर है। प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना उसका शत-प्रतिशत लक्ष्य पूरा कर दिया गया है, एक राष्ट्र एक राशन कार्ड यहां पर लागू कर दिया गया है, स्वास्थ्य कल्याण के अंदर 95 लक्ष्य के मुकाबले 129 स्वास्थ्य और सेहत केंद्रों की शुरुआत करने का काम भी पूरा कर दिया गया है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि यहां किसी भी माता को केरोसिन या लकड़ियां जलाकर खाना न पकाना पड़े इसके लिए अंडमान निकोबार को धुआं मुक्त करने का काम प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में हो गया है और यहां पर भी देश के अन्य हिस्सों की तरह विकास की बयार आई है। उन्होंने कहा कि मैं फिर से एक बार जाने अनजाने, अनेकानेक हुतात्माओं को और देश भर में आजादी के लड़ते-लड़ते जिन्होंने अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ काल मां भारती के चरणो में समर्पित किया और कुछ लोगों ने अपना पूरा जीवन ही बलिदान कर दिया। कई लोग अपनी पढ़ाई लिखाई छोड़ कर आजादी के आंदोलन में लगे, अपना पूरा भविष्य, अपना पूरा कैरियर भारत मां के चरणों में समर्पित किया उन सभी के बलिदान और समर्पण को नमन करता हूं और फिर एक बार वीर योद्धा सावरकर जी की स्मृति में प्रणाम करता हू।

 

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