प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को सबसे बेहतर भारत की जनता जानती है और उनके विचारों, काम और उनकी सिद्धियों के आधार पर जानती है

1960 के दशक के उत्तरार्ध में और वर्ष 2014 तक देश की जनता के मन में एक बहुत बड़ा सवाल आ गया था कि क्या हमारी बहुपक्षीय लोकतांत्रिक व्यवस्था सफल हो सकती है

वर्ष 2014 तक रामराज्य या कल्याणराज्य की परिकल्पना ध्वस्त हो चुकी थी

2014 में बड़े धैर्य से जनता ने फ़ैसला दिया और 30 साल बाद पूर्ण बहुमत के साथ किसी प्रधानमंत्री को श्री नरेन्द्र मोदी जी के रूप में इस देश का शासन सौंपा

वर्ष 2001 में हमारी पार्टी ने फ़ैसला किया कि श्री नरेन्द्र मोदी उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री होंगे जब राज्य विनाशकारी भूकंप के बाद सबसे बड़े संकट के समय खड़ा होने का प्रयास कर रहा था

मोदी जी जब मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने पूरी स्थिति को देखने, समझने और कई सारे बदलाव लाने का प्रयास किया

उन्होंने सुधारों और पारदर्शिता पर काम किया, उनकी परिभाषा के अनुसार पद्धति को बदलने को सुधार नहीं कहते, बल्कि ज़मीनी परिस्थिति को बदलने को सुधार कहते हैं

मोदी जी ने जो सबसे बड़ा काम किया वो था सर्वस्पर्शी सर्वसमावेशी विकास की शुरूआत

2014 के चुनाव के समय पिछली सरकार के दस साल पूरे हो चुके थे और उस वक़्त मंत्रिमंडल के सभी सदस्य प्रधानमंत्री को प्रधानमंत्री नहीं मानते थे बल्कि हर व्यक्ति ख़ुद को ही प्रधानमंत्री मानता था

देश में पॉलिसी पैरालिसिस हो चुका था, देश की सुरक्षा का कोई ठिकाना नहीं रहा था, विदेशों में देश का सम्मान शायद सबसे निम्नस्तर पर था, 12 लाख करोड़ के घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार

आंतरिक सुरक्षा के ढेर सारे सवाल खड़े हो गए थे और ऐसा लगता था कि कभी भी हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था मानो ध्वस्त हो जाएगी

उस वक़्त हमारी पार्टी ने निर्णय लिया कि गुजरात के मुख्यमंत्री 2014 के चुनावों में हमारी पार्टी के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी होंगे

नई दिल्ली27अक्टूबर।उस समय हो रहे कई प्रकार के आंदोलनों के बीच इस घोषणा से देश में एक नए प्रकार का परिवर्तन देखने को मिला जिसके ज़रिए आक्रोश को आशा में परिवर्तित होते हुए हमने देखा

2014 से मोदी जी का कार्यकाल शुरू हुआ और देश में हर क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन हुआ है

सिर्फ शासन, सुधार, सुशासन जैसे शब्द किसी देश की समस्याओं को समाप्त नहीं कर सकते

देश की समस्या सिर्फ़ प्रशासन, आर्थिक विकास नहीं है बल्कि देश के गौरव को भी सभालना है, देश की संस्कृति को भी आगे बढ़ाना है, देश की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करना है

एक अलग प्रकार के दृष्टिकोण की ज़रूरत होती है और वो एक जननेता में ही होता है, जो ज़मीन से ऊपर उठा है

प्रधानमंत्री जी ने ग़रीब कल्याण को एक अलग व्याख्या देते हुए GDP के मानवीय नज़रिए को लोगों के सामने रखा है  

आर्थिक सुधार तो हो सकता है लेकिन उसका केन्द्र बिंदु देश का ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति होना चाहिए  

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस देश के पासपोर्ट की वैल्यू और विदेश में देश का गौरव बढ़ाया है

 समग्र विकास का मतलब देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है ताकि छोटे से बच्चे से लेकर वयोवृद्ध व्यक्ति तक निश्चित हो जाए कि इस देश की तरफ़ कोई उंगली उठाकर नहीं देख सकता

पहले हमेशा इस देश की रक्षा नीति विदेश नीति की शैडो में रहती थी, नरेंद्र मोदी जी ने देश की रक्षा और विदेश नीति को स्पष्टता के साथ अलग कर दिया

 हमारे संविधान ने ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति के जीवन स्तर को ऊपर उठाना, देश को सुरक्षित, समृद्ध शिक्षित और संस्कारित बनाना, संस्कृति को आगे बढ़ाना और दुनियाभर में देश के गौरव को शिखर तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा है

 मोदी जी भले ही अपने आपको बड़ी विनम्रता से प्रधान सेवक मानते हैं मगर मैं कह सकता हूँ कि आज़ादी के बाद देश में अगर कोई सफलतम प्रधानमंत्री है तो वे श्री नरेन्द्र मोदी जी हैं

प्रधानमंत्री जी ने योजनाएं बनाते हुए उनके साइज़ और स्केल को बदल दिया है, आज नीतियां व्यक्ति, समूह, राज्य या पार्टी के अनुकूल नहीं बल्कि केवल और केवल देशहित में बनती हैं

 1960 के दशक के बाद ज़्यादातर लोगों ने ऐसी नीतियां बनाई जो लोगों को पसंद आये पर मोदी जी ने ऐसी नीतियाँ बनाने का काम किया जो लोगों के लिए अच्छी हों और बिना डरे यह काम किया

मोदी सरकार के निर्णयों के दो ही प्रमुख केन्द्र बिन्दु होते हैं, एक भारत का ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति और नागरिक और दूसरा बाक़ी की सभी नीतियों का केन्द्र बिन्दु भारत

श्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी समेत अनेक कठोर निर्णय लिए, बहुत सारे लोग इसके ख़िलाफ़ थे लेकिन मोदी जी ने धड़ल्ले से यह निर्णय लिया ताकि पूरे देश को ई पेमेंट की ओर ले जायें और ब्लैक मनी को समाप्त करें

मोदी जी ने विश्व पटल पर भारतीय संस्कृति का अग्रदूत बनकर योग दिवस के लिए 177 देशों की सहमति लेकर आज हमारे योग और आयुर्वेद को दुनिया भर में पहुँचाने का काम किया

आज़ादी के बाद भारत की संस्कृति का ध्वजवाहक बनकर अगर किसी ने संयुक्त राष्ट्र में भाषण किया है तो वो हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी हैं

 

 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज ‘’डिलीवरिंग डेमोक्रेसी: सरकार के प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दो दशक’ विषय पर रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी के तत्वाधान में तीन-दिवसीय राष्ट्रीय गोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को सबसे बेहतर भारत की जनता जानती है और उनके विचारों, काम और उनकी सिद्धियों के आधार पर जानती है। श्री अमित शाह ने कहा कि एक छोटे से शब्द, डिलीवरिंग डेमोक्रेसी में भारत की जनता की 75 साल तक जो आशाएं थीं, उन्हें समाहित कर लिया गया है। जब देश आज़ाद हुआ और हमारी संविधान सभा बनी और उसने बहुपक्षीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को स्वीकार किया और ये एक उचित फ़ैसला था। लेकिन 1960 के दशक के उत्तरार्ध में और वर्ष 2014 तक देश की जनता के मन में एक बहुत बड़ा सवाल आ गया था कि क्या ये बहुपक्षीय लोकतांत्रिक व्यवस्था सफल हो सकती है। वर्ष 2014 तक रामराज्य या कल्याणराज्य की परिकल्पना ध्वस्त हो चुकी थी। जनता के मन में एक आशंका आ गई थी कि कहीं हमारी लोकतांत्रिक संसदीय व्यवस्था फ़ेल तो नहीं हो गई है, वो परिणाम नहीं दे रही है और आगे क्या और किस प्रकार से होगा। लेकिन भारत की जनता बहुत धैर्यवान है क्योंकि कई चीज़ों को सहन करते करते एक राष्ट्र के नाते आज हम यहां पहुंचे हैं। बड़े धैर्य से जनता ने फ़ैसला दिया और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को 30 साल के बाद पूर्ण बहुमत के साथ इस देश का शासन सौंपा।

 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि किसी भी व्यक्ति का आज का स्वरूप देखकर उसके आधार पर आंकलन नहीं करना चाहिए, बल्कि वो कितनी तपस्या, संघर्ष, त्याग और मेहनत करके यहां पहुंचा है, ये देखना चाहिए। वर्ष 2001 में हमारी पार्टी ने फ़ैसला किया कि श्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री होंगे और उस वक्त जब राज्य सबसे बड़े संकट में था, विनाशकारी भूकंप के बाद खड़ा होने का प्रयास कर रहा था। मोदी जी जब मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने पूरी स्थिति को देखने, समझने और कई सारे बदलाव लाने का प्रयास किया। उस वक्त कोई नहीं मानता था कि वो एक सफल मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन उन्होंने सुधारों और पारदर्शिता पर काम किया। उनकी परिभाषा के अनुसार पद्धति को बदलने को सुधार नहीं कहते, बल्कि ज़मीनी परिस्थिति को बदलने को सुधार कहते हैं। मोदी जी ने जो सबसे बड़ा काम किया वो था सर्वस्पर्शी सर्वसमावेशी विकास की शुरूआत। विकास की परिधि ऐसी होनी चाहिए जो सर्वसमावेशक हो और विकास की पहुंच ऐसी होनी चाहिए जो सर्वस्पर्शी हो और विकास हर व्यक्ति तक पहुंचे, अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे और सबको समाहित करे। इस प्रकार के विकास का मॉडल उन्होंने समाहित करने की शुरूआत की और विकास के लिए सबसे बड़ी ज़रूरत होती है शिक्षा की। अशिक्षितों के साथ कोई देश विकास नहीं कर सकता और अशिक्षित को पढ़ाने की ज़िम्मेदारी शासन की है, वो तो पीड़ित है। जो व्यक्ति संविधानप्रदत्त अपने अधिकारों और कर्तव्यों को नहीं जानता वो देश के विकास में पूर्ण रूप से सहभागिता नहीं कर सकता।

श्री अमित शाह ने कहा कि जब श्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने तब प्राथमिक स्कूली शिक्षा में एनरोलमैंट लगभग 67 प्रतिशत और ड्रॉपआउट दर लगभग 37 प्रतिशत थी। उनके प्रयासों से एनरोलमेंट तो शत-प्रतिशत हो गया लेकिन ड्रॉपआउट दर कम करने के लिए भी उन्होंने प्रयास किए और इस दर को 0 से 1 के बीच में लाने का काम किया। इसी प्रकार उनके प्रयासों के कारण ही देश में सबसे पहले 24 घंटे बिजली मिलनी गुजरात में शुरू हुई और बिजली मिलते ही कई समस्याओं का समाधान हो गया और गांवों में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिला। उन्होंने कहा कि कृषि को विकास के साथ जोड़ना चाहिए तभी विकास परिपूर्ण होता है और हमारे देश में सबसे बड़ा रोज़ग़ार का ज़रिया आज भी कृषि ही है और देश की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। श्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि की समस्याओं के समाधान के लिए कृषि महोत्सव शुरू किया और गुजरात के 19000 गांवों में सरकार ने स्वयं पहुंचकर किसानों को जो भी चाहिए था वो उपलब्ध कराया और परिणामस्वरूप गुजरात ने दस साल तक औसतन दस प्रतिशत कृषि विकास दर हासिल की।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 2014 के चुनाव के समय पिछली सरकार के दस साल पूरे हो चुके थे और उस वक़्त मंत्रिमंडल के सभी सदस्य प्रधानमंत्री को प्रधानमंत्री नहीं मानते थे और हर व्यक्ति ख़ुद को ही प्रधानमंत्री मानता था। देश में पॉलिसी पैरालिसिस हो चुका था, देश की सुरक्षा का कोई ठिकाना नहीं रहा था, विदेशों में देश का सम्मान शायद सबसे निम्नस्तर पर था। 12 लाख करोड़ के घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार, आंतरिक सुरक्षा के ढेर सारे सवाल खड़े हो गए थे और ऐसा लगता था कि कभी भी हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था मानो ध्वस्त हो जाएगी। उस वक़्त हमारी पार्टी ने निर्णय लिया कि गुजरात के मुख्यमंत्री 2014 के चुनावों में हमारी पार्टी के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी होंगे। उस समय हो रहे कई प्रकार के आंदोलनों के बीच इस घोषणा से देश में एक नए प्रकार का परिवर्तन देखने को मिला जिसके ज़रिए आक्रोश को आशा में परिवर्तित होते हुए हम सबने देखा। 2014 से मोदी जी का कार्यकाल शुरू हुआ और देश में हर क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन हुआ है। श्री शाह ने कहा कि शासन, सुधार, सुशासन जैसे शब्द किसी देश की समस्याओं को समाप्त नहीं कर सकते। देश की समस्या सिर्फ़ प्रशासन, आर्थिक विकास नहीं है बल्कि देश के गौरव को भी सभालना है, देश की संस्कृति को भी आगे बढ़ाना है, देश की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करना है। एक अलग प्रकार के दृष्टिकोण की ज़रूरत होती है और वो एक जननेता में ही होता है, जो ज़मीन से ऊपर उठा है। आर्थिक सुधार तो हो सकता है लेकिन उसका केन्द्र बिंदु देश का ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति होना चाहिए।

श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस देश के पासपोर्ट की वैल्यू और विदेश में देश का गौरव बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि समग्र विकास का मतलब देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है ताकि छोटे से बच्चे से लेकर वयोवृद्ध व्यक्ति तक निश्चित हो जाए कि इस देश की तरफ़ कोई उंगली उठाकर नहीं देख सकता। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमने इस तरह का सुरक्षा तंत्र खड़ा किया है। उड़ी और पुलवामा में हमला हुआ और सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक से दुनियाभर में यह संदेश गया कि अब भारत की सीमाओं के साथ छेड़खानी नहीं हो सकती। श्री शाह ने कहा कि आप इसे देशभक्ति, श्री नरेंद्र मोदी के साहस और देश की सुरक्षा की दृष्टि से भी देख सकते हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पहले हमेशा इस देश की रक्षा नीति विदेश नीति की शैडो में रहती थी और नरेंद्र मोदी जी ने देश की रक्षा और विदेश नीति को स्पष्टता के साथ अलग कर दिया। हम सब के साथ दोस्ती चाहते हैं मगर हमें अपने सार्वभौमित्व पर कोई अतिक्रमण नहीं चाहिए। श्री अमित शाह ने कहा कि आर्थिक सुधार, गुड गवर्नेंस और ग़रीबी उन्मूलन ज़रूरी है लेकिन इससे सफल शासन की व्याख्या नहीं की जा सकती। हमारे संविधान ने ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति के जीवन स्तर को ऊपर उठाना, देश को सुरक्षित, समृद्ध शिक्षित और संस्कारित बनाना, संस्कृति को आगे बढ़ाना और दुनियाभर में देश के गौरव को शिखर तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा है। जब यह सब एकत्र होता है तब एक सफल शासन बनता है और इसमें जो नेतृत्व देता है वो ही सफल शासक बनता है। श्री नरेन्द्र मोदी जी भले ही अपने आपको बड़ी विनम्रता से प्रधान सेवक मानते हैं मगर मैं कह सकता हूँ कि आज़ादी के बाद देश में अगर कोई सफलतम प्रधानमंत्री है तो वे श्री नरेन्द्र मोदी जी हैं।

श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने योजनाएं बनाते हुए उनके साइज़ और स्केल को बदल दिया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले की योजनाओं में संख्या बताई जाती थी जैसे 10,000  लोगों को पक्का घर देंगे जबकि मोदी जी ने निर्णय किया कि देश के हर व्यक्ति को 2022 से पहले पक्का घर देंगे। आज नीतियां व्यक्ति, समूह, राज्य या पार्टी के अनुकूल नहीं बल्कि केवल और केवल देशहित में बनती हैं। उन्होंने कहा कि 1960 के दशक के बाद ज़्यादातर लोगों ने ऐसी नीतियां बनाई जो लोगों को पसंद आये पर मोदी जी ने ऐसी नीतियाँ बनाने का काम किया जो लोगों के लिए अच्छी हों और बिना डरे यह काम किया।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के निर्णयों के दो ही प्रमुख केन्द्र बिन्दु हैं, एक भारत का ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति और नागरिक और दूसरा बाक़ी की सभी नीतियों का केन्द्र बिन्दु भारत। गृह मंत्री ने कहा कि श्री नरेंद्र मोदी ने बहुत सारे निर्णय कठोरता से लिए जैसे कि नोटबंदी का फ़ैसला। उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग इसके ख़िलाफ़ थे लेकिन मोदी जी ने धड़ल्ले से यह निर्णय लिया ताकि पूरे देश को ई पेमेंट की ओर ले जायें और ब्लैक मनी को समाप्त करें। उन्होंने कहा कि जनता इसमें प्रधानमंत्री के साथ खड़ी रही क्योंकि इसमें मोदी जी का कोई स्वार्थ नहीं था। इसके बाद तीन तलाक़ की समाप्ति का फ़ैसला लिया। राजीव गांधी सरकार ने इस पर फ़ैसला लिया और फिर उलट दिया मगर मोदी जी ने तीन तलाक़ पर फ़ैसला भी लिया, इस पर डटे हैं और आज देश की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को अधिकार देने का काम किया है। श्री अमित शाह ने कहा कि साथ ही मोदी सरकार ने वन रैंक वन पेंशन का संवेदनशील फ़ैसला लिया। उन्होंने कहा कि जो माइनस 45 से 45 डिग्री तापमान में देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं उनके परिवार को सुरक्षित करना इस राज्य, सरकार और शासन की ज़िम्मेदारी है। सरकार ने चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टॉफ का भी फ़ैसला लिया।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 2019 में मोदी जी को मेंडेट मिला और 5 अगस्त 2019 को धारा 370 और 35 ए को समाप्त करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि सबको साथ लेकर और पूरे देश में बिना किसी दंगा फ़साद के श्रीराम जन्मभूमि के निर्माण का फ़ैसला हो गया और आज मंदिर निर्माण का काम चालू है। श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी जी ने विश्व पटल पर भारतीय संस्कृति का अग्रदूत बनकर योग दिवस के लिए 177 देशों की सहमति लेकर आज हमारे योग और आयुर्वेद को दुनिया भर में पहुँचाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद भारत की संस्कृति का ध्वजवाहक बनकर अगर किसी ने संयुक्त राष्ट्र में भाषण किया है तो वे हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी हैं। पर्यावरण संरक्षण के हमारे वेदों और उपनिषदों के संदेश को मोदी जी ने विश्व पटल पर रखा और पेरिस जलवायु सम्मेलन में पूरे विश्व ने भारत की अगुआई को स्वीकार किया जिसके परिणामस्वरूप गुरुग्राम में अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस आया।

श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने ग़रीब कल्याण को एक अलग व्याख्या दी है। श्री नरेंद्र मोदी जी ने GDP के मानवीय नज़रिए को लोगों के सामने रखा है। उन्होंने कहा कि विकास दर बढ़नी चाहिए मगर इसका लाभार्थी व्यक्ति और गरीब होना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि 35 हज़ार करोड़ रुपये शौचालय बनने से अर्थतंत्र की गति तो बढ़ती ही है साथ ही इससे 10 करोड़ परिवार सम्मान के साथ जीते हैं। गृह मंत्री ने कहा कि मोदी जी ने अपनी माँ को चूल्हे के धूँए में खाना बनाते और खाँसते हुए देखा है, जब 11 करोड़ माताओं के पास उज्जवला योजना का गैस सिलेंडर पहुँच जाता है तो GDP भी बढ़ती है और उनका सशक्तिकरण भी होता है।

श्री अमित शाह ने कहा कि हाल ही में हमने सौ करोड़ वैक्सीन लगाने का लक्ष्य पार कर लिया है। उन्होने कहा कि कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज शत प्रतिशत मुफ़्त देने की घोषणा और उसे लागू करने का साहस किसी भी राष्ट्रीय अध्यक्ष में नहीं हो सकता। श्री शाह ने कहा कि देश में 43 करोड़ बैंक खाते खोलने से इन लोगों का अर्थतंत्र से जुड़ाव हुआ है। अब तक 19 लाख करोड़ रुपये DBT के माध्यम से सीधे लोगों के खाते में पहुँचे हैं। 80 करोड़ लोगों को कोरोना के समय डेढ़ साल तक प्रति व्यक्ति पाँच किलो गेहूं या चावल मुफ़्त दिया गया है। किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिश के अनुसार अधिकतम समर्थन मूल्य MSP को खर्च से 50% अधिक देने का काम किया है।

गृह मंत्री ने कहा कि मोदी जी हर साल किसानों के खाते में छह हज़ार रुपये भेज रहे हैं। लोगों ने ऋण माफ़ करने की व्यवस्था करने की माँग की हमने ऋण ना लेना पड़े इस प्रकार की व्यवस्था करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नीतियां बनाने का काम किया है। पहले कभी ड्रोन पॉलिसी की चर्चा भी नहीं होती थी और अंतरिक्ष को इसरो के भरोसे छोड़ रखा था। आज ड्रोन, स्पेस, माइनिंग और कोल माइनिंग, कृषि, ग्रीन, व्हाइट और ब्लू रिवाल्युशन तथा नई शिक्षा नीति लाने का काम किया है। श्री अमित शाह ने कहा कि नई शिक्षा नीति हमारी भाषाओं को भी महत्व देगी। उन्होंने देश भर के लोगों से आग्रह किया कि माता पिता अपने बच्चों से अपनी भाषा में बात करें। उन्होने कहा कि भाषा सिर्फ़ रोज़गार का ज़रिया नहीं बल्कि अभिव्यक्ति और इस देश की संस्कृति तथा इतिहास को समझने का ज़रिया है।

गृह मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य नीति में आमूलचूल परिवर्तन हो रहा है जिससे सबसे निचले स्तर तक स्वास्थ्य सुविधा पहुँच जाए। उन्होंने कहा कि जलशक्ति के लिए भी काम हो रहा है और इसके लिए एक मंत्रालय बनाया गया है। गृह मंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए अनेक क़दम उठाए गए हैं। GeM के माध्यम से सरकारी ख़रीद होने से यह प्रक्रिया लगभग पूर्णत: भ्रष्टाचार विहीन हो गई है और इसका दायरा भी बढ़ रहा है। श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी जी ने UPI के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बहुत बड़ा काम किया है और करोड़ों लोग इससे जुड़ गए हैं। प्रधानमंत्री ने सरकारी कर्मचारियों के लिए मिशन कर्मयोगी शुरू किया है जिससे वे देश निर्माण में बेहतर योगदान कर सकें।

 

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