श्री प्रधान ने इस अवसर पर कहा कि प्रौद्योगिकी को भाषा का बंधुआ नहीं होना चाहिए। उन्होंने और अधिक भारतीय भाषाओं में प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह प्रौद्योगिकी शिक्षा में भाषा की बाधा को समाप्त करने और हमारी युवा शक्ति, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक अच्छी शुरुआत है।
उन्होंने कहा कि भारत एक प्रौद्योगिकी-प्रेमी देश है और भारत में डिजिटल भुगतान को अपनाने में सफलता की कहानी इसका उदाहरण है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि जीयूवीआई ने निचले तबके की आबादी को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के बारे में शिक्षित करने के लिए यह पहल की है।
श्री प्रधान ने देश के हर हिस्से में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस सीखने की आसान पहुंच की कल्पना करते हुए इस अनूठी पहल के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ दीं।
जीयूवीआई, एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास इनक्यूबेटेड स्टार्टअप प्रौद्योगिकी मंच है जो स्थानीय भाषाओं में प्रौद्योगिकी सीखने को सक्षम बनाता है। इस कार्यक्रम को 9 भारतीय भाषाओं में तैयार किया गया है।
*****
पी आई बी