★राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष ने समारोह के पहले दिन आज सम्मेलन को संबोधित किया

■नई दिल्ली 26 नवम्बर।भारत के संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में हर वर्ष 26 नवंबर को ‘कॉंस्टीटूशन डे’ के रूप में मनाया जाता है, जिसे हम संविधान दिवस (#SamvidhanDiwas) भी कहते हैं। इस अवसर पर हर साल होने वाले समारोहों के हिस्से के रूप में, संविधान में निहित मूल्यों तथा सिद्धांतों को उजागर करने और दोहराने के उद्देश्य से कई गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।

वर्ष 2020 के संविधान दिवस समारोह के एक भाग के रूप में गुजरात के केवडिया में दो दिवसीय ‘अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन’ का आयोजन किया गया है। इस सम्मेलन का उद्घाटन आज राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद द्वारा किया गया। उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला ने भी आज आयोजित सम्मेलन को संबोधित किया। इस वर्ष के सम्मेलन का विषय है – “विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सौहार्द्रपूर्ण समन्वय – गतिशील लोकतंत्र की कुंजी।”

 

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सम्मेलन के उद्घाटन पर संबोधित करते हुए कहा कि, एक संसदीय लोकतंत्र में, सत्तारूढ़ पार्टी के साथ-साथ विपक्ष की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने कहा कि, अच्छे लोकतंत्र में दोनों के बीच सामंजस्य, सहयोग और सार्थक विचार-विमर्श बेहद आवश्यक है। सदन में जनप्रतिनिधियों को स्वस्थ बहस करने और विनम्र संवाद एवं चर्चा को प्रोत्साहित करने के लिए अधिकारियों को वातावरण प्रदान करने की जिम्मेदारी पीठासीन अधिकारियों की है। पिछले कुछ दशकों में आम जनता की अपेक्षाएं, आकांक्षाएं और जागरूकता बढ़ रही है, इसलिए संसद एवं विधानसभाओं की भूमिका तथा जिम्मेदारियां और भी अधिक ध्यान में आई हैं। जनता के जन-प्रतिनिधियों से यह अपेक्षा की जाती है कि, वे लोकतंत्र के सिद्धांतों के प्रति हमेशा ईमानदार रहें। राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थानों और जन – प्रतिनिधियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना है।

 

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि, तीनों अंगों- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को एक-दूसरे के अधिकार क्षेत्र की पवित्रता का ख़्याल रखते हुए परस्पर सम्मान दिखाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि, “मैं पीठासीन अधिकारियों को लोकतंत्र के मंदिर का उच्च पुजारी कहना पसंद करता हूं। आप सभी लोकतंत्र के इस मंदिर के गर्भगृह की पवित्रता को बनाए रखने के लिए अनिवार्य हैं।”

लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला ने कहा कि, “संविधान दिवस हमारे संविधान में निहित कर्तव्यों को प्रतिबिंबित करने तथा हमारे महान नेताओं द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेने का अवसर है। हम सभी देश के नागरिकों के कल्याण, विचारों, आशाओं और इच्छाओं के लिए खड़े हैं।” उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को संविधान में निहित मूल्यों के प्रति ईमानदार रहते हुए ही अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी ने अखंड भारत बनाने में सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा निभाई गई करिश्माई भूमिका को याद किया। उन्होंने गुजरात से संविधान सभा के सदस्य के रूप में कन्हैयालाल मुंशी का और हंसा मेहता द्वारा संविधान के निर्माण में निभाई गई ज़िम्मेदारी का भी उल्लेख किया।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय, मीडिया ब्यूरो ऑफ़ आउटरीच कम्युनिकेशन तथा संसदीय संग्रहालय एवं अभिलेखागार’ के समन्वित सहयोग से पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में एक बहु-मीडिया प्रदर्शनी स्थापित की गई है। इस प्रदर्शनी में हमारे देश में लोकतांत्रिक परंपरा की यात्रा का वर्णन है, जो वैदिक काल से होती हुई लिच्छवी काल से लेकर आधुनिक लोकतांत्रिक मूल्यों वाले भारत के निर्माण तक है।

इससे पहले आज सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ थावर चंद गहलोत ने नई दिल्ली में संविधान दिवस के अवसर पर एक अद्वितीय वृत्तचित्र “इलस्ट्रेशन एंड कैलीग्राफी इन द कॉंस्टीटूशन ऑफ़ इंडिया – भारत के संविधान में दृष्टांत और सुलेख” जारी किया। यह संविधान में दर्ज संबंधित भागों के साथ उपयोग किए गए विभिन्न चित्रों की प्रासंगिकता का सन्दर्भ देते हुए बनाया गया एक वृत्तचित्र है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग इन समारोहों के समन्वय के लिए नोडल विभाग नियुक्त किया गया है।

संविधान दिवस समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा संविधान की प्रस्तावना का वाचन भी है जो लोकतांत्रिक विचारधारा को बनाए रखने की हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है और इसका नेतृत्व राष्ट्रपति 26 नवंबर को सुबह 11 बजे करेंगे। सभी मंत्रालयों एवं विभागों, भारत सरकार और स्वायत्त निकायों, अधीनस्थ कार्यालयों, शैक्षिक संस्थानों सहित संबंधित संगठनों तथा संस्थानों को एक साथ प्रस्तावना को पढ़ना होगा।

67 मंत्रालयों, विभागों और संगठनों ने वेबिनार, प्रदर्शनियों, निबंध प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, नारा प्रतियोगिता, क्षेत्रीय वेबिनार, ई-बैनर, डिजिटल प्रदर्शनी और वार्ता, वीडियो तथा ऑडियो विज्ञापन जारी करने और समाचार पत्रों में लेखों के प्रकाशन सहित 200 से अधिक गतिविधियों का आयोजन किया। नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों पर चर्चा भी इनमें शामिल है।

पी आई बी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *