*नई दिल्ली TNI धर्म की खोज*
◆भारत का संविधान एवं नियम कानून ही बना रहे हैं भारतीयों की नई पीढी को अपराधी,धर्म शास्त्रों मे नही है कहीं भी प्रेम विवाह का वर्णन, सामाजिक उंचाई, बल, बुद्धि ही रहे हैं हमेशा से वैवाहिक संबंधो की पहचान*
*धर्म और परंपराओं से जुड़े हुए विषयों को सुप्रीम कोर्ट के दायरे से एवं कानून के दायरे से बाहर निकाला जाना चाहिए।*
*कई बार कोर्ट के निर्णय समाज में विध्वंस की स्थिति पैदा कर रहे हैं। सनातन धर्म से जुड़े रीति रिवाज परंपराएं पूर्ण रूप से प्राचीन विज्ञान पर आधारित है, जहां विज्ञान अभी पचास वर्षों में पहुंचा है वहां हमारा प्राचीन विज्ञान दसियों हजार वर्ष पहले पहुंच चुका है। चाहे पुष्पक विमान हो या समुद्र प्राचीन विज्ञान या ब्रह्मांड का ज्ञान, जहां विज्ञान आज पहुंचने की कोशिश कर रहा है, वहां हमारे ऋषि मुनि बिना शरीर के आत्मा बल के आधार पर पहुंच चुके हैं और आत्मा ने पुन: शरीर में प्रवेश कर कई ग्रंथों को जन्म दिया है। जिसमें बड़े-बड़े ग्रहों की जानकारी सटीक दर्ज है।*
*जहां तक हमारे ऋषि मुनि पहुंचे थे वहां तक का सफर तय करने में अभी तत्कालीन विज्ञान को दसियों हजार वर्ष लगेंगे और इस बात की कोई गारंटी नहीं है उसका परिणाम मानव जीवन के लिए हानिकारक नहीं होगा? या उसका दुष्परिणाम मानव जाति को नहीं झेलना पड़ेगा?*
*सच पूछा जाए तो रीति रिवाज और परंपराओं में हस्तक्षेप करके जो कानूनी दांव पेंच खेले गए हैं, उनसे बहुत बड़ी सामाजिक आर्थिक अपराधियों की फसल पैदा हो रही है। अपराध एवं अपराधियों का आलम गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले और घर तक पहुंच गया है।*
*TNI ने कई जगह प्रेम विवाह संबंधी मामलों का गहन अध्ययन किया है, उसमें पाया है प्रेम विवाह 99% असफल हो जाते हैं और प्रेम विवाह करने वाली लड़की को समाज और परिवार द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता। ऐसी दशा में लड़की के सामने मौत को गले लगाने या कॉल गर्ल के रूप में अपना जीवन बिताने के अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं होता। इसी का दुष्परिणाम है अब वेश्याओं के कोठे तो सीमित हो गए लेकिन वेश्याएं अब गली-गली, कूचे-कूचे में काल गर्ल बनी घूम रही है।*
*विवाह का प्रेम से नहीं है कोई संबंध, प्रेम विवाह जैसी कोई व्याख्या धर्म ग्रंथ अथवा शास्त्रों में नहीं है। यहां भगवान श्री कृष्ण का उदाहरण देना चाहूंगा, क्या भगवान श्री कृष्ण ने अपनी प्रेमिका राधा से शादी की थी? नहीं की थी, राधा रानी कृष्ण की प्रेमिका जरूर थी लेकिन वह शादीशुदा स्त्री थी और भारतीय सनातन धर्म स्त्री की दूसरी शादी का कोई प्रावधान नहीं है। अगर आप हिंदू शास्त्रों का अध्ययन करें तो पता चलता है ऐसी महिलाएं बाद में पति द्वारा छोड़ दिए जाने के बाद या पति की मृत्यु के बाद कठिन जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाती है। समाज के लोग उनका शारीरिक शोषण तो करते है लेकिन विवाह नहीं करते*
*यह विषय बहुत गंभीर हैं। समाज पर इनका क्या दुष्प्रभाव पड़ता है? इस पर गंभीर शोध किए जाने की जरूरत है। हमने ऐसे कई युवा युवतियों पर अध्ययन किया है जिन्होंने प्रेम विवाह किया है। ऐसे जोड़े विवाह नहीं करते, वह शारीरिक संबंध बनाने का एग्रीमेंट करते हैं जिसे कानून ने मैरिज का जामा पहना रखा है। हमने यह भी पाया है ऐसे लव मैरिज वाले जोड़े सबसे पहले परिवार में घुसते ही विध्वंस की स्थिति पैदा कर देते हैं और अपनी अलग राह पकड़ लेते हैं। इससे लड़की एवं लड़के के परिवार का जीवन नर्क बन जाता है। कई परिवारों में तो एक ही लड़की और एक ही लड़का होता है।*
*प्रेम विवाह की स्थिति में वह अपना कुटुंब का दायित्व भूल जाता है और मां-बाप को ओल्ड एज होम का दरवाजा दिखाकर उनकी सारी संपत्ति पर कब्जा कर लेता है। कई जगह तो बहू बेटे द्वारा मां बाप रोज पिटाई खाते हैं और फर्जी मुकदमों में जेल जाते हैं। ऐसी स्थिति में कानून बुजुर्गों को कोई संरक्षण नहीं देता बल्कि अपराधी महिला के साथ खड़ा दिखाई देता है। जिसे नारी सशक्तिकरण का नाम दिया गया है। इन हालातों का दुष्परिणाम यह हुआ है कि अधिकांश महिलाएं इन्हीं सब चीजों का अनुसरण करते हुए अपने सास-ससुर, नंद, देवर, जेठ, पति तक को जेल में भिजवा देती है और बाद में रंगरेलियां मनाती है। इसका विपरीत प्रभाव समाज पर क्या पड़ रहा है यह भी शोध का विषय है।*
*मैं दहेज के खिलाफ हूं,उस के पक्ष में भी नहीं हूं। लेकिन यह भी सच्चाई है भगवान श्री कृष्ण की दो शादियां जामवंती एवं सत्यभामा से केवल मणि के कारण हुई थी ऐसी मणि जो कई टन सोना रोज उगलती थी।*
*अब आ जाइए रुक्मणी कृष्ण विवाह पर, रुक्मणी ने शिशुपाल से अपना शरीर बचाने के लिए उनके दुश्मन श्री कृष्ण को पत्र लिख कर मदद मांगी थी। वह शिशुपाल से विवाह नहीं करना चाहती थी और उनके भाई उन्हें जबरदस्ती शिशुपाल के साथ शादी करने पर तूले हुए थे। ऐसी स्थिति में शिशुपाल के सबसे बड़े दुश्मन श्री कृष्ण से उन्होंने मदद मांगी श्री कृष्ण द्वारका से कंचनपुर आए और रुक्मणी का हरण करके ले गए बाद में शादी रचा ली।*
*पौराणिक ग्रंथों के अनुसार जब कोई किसी स्त्री का हरण करता था तो फिर स्त्री के आगे उससे शादी करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प ही नहीं बचता था।*
*स्त्री के संबंध में जितने भी धार्मिक ग्रंथ है, जहां तक मुझे प्राप्त हुए मैंने उनका अध्ययन करके पाया, स्त्री कभी प्रेम विवाह का प्रश्न नहीं रही? विवाह सबल शरीर और बुद्धि के साथ होता था। इसी का अनुसरण भारतीय समाज करते हुए अपनी बेटी के लिए ऐसे वर की तलाश करता था जो शरीर से हृष्ट पुष्ट हो और उसे जीवन भर खिलाने पिलाने सहित सारी सुविधाएं मुहैया कराने की स्थिति में हो।*
*गावों मे सामाजिक ताना-बाना ऐसा था जहां सारे गांव की स्त्री को बहन, बेटी या मां और भाभी के रूप में देखने की परंपरा थी। जहां गांव में आपस में विवाह करने की कोई परंपरा या रीति रिवाज नहीं था। लेकिन बिना अध्ययन किए, बिना शोध किए समाज मे घर घर विध्वंस, अपराध, सामाजिक ताना-बाना टूट रहा है।*
*हां एक बात जरूर देखी गई है गांव में स्त्रियों को जिनका कोई धनी धोरी ना हो, उन्हें रखैल के रूप में रखने की परंपरा कई गांव में देखी गई है। जहां पैसे एवं पावर वाले लोग स्त्रियों को जीवन भर के लिए अपनी संगी साथी बनाकर उन्हें अलग से संपत्ति जमीन जायजाद देकर जीवन भर के लिए भरण पोषण का इंतजाम करते थे। भारत के कोने कोने में इस तरह की कहानियां एवं किस्से आज भी सुने जा सकते हैं।*
*भगवान राम का सीता जी के साथ प्रेम विवाह नहीं था, ना वह स्वयंवर था। वहां केवल राज परिवार के लोगों को आमंत्रित किया गया था और श्री राम ने अपने बल का प्रदर्शन कर ऐसा धनुष तोड़ा था जिसे साधारण व्यक्ति नहीं उठा सकता था, यानी कि राम और सीता के विवाह में बल प्रदर्शन प्रमुख कारण था। प्रेम विवाह की बातें मनगढ़ंत कहानी है।*
*आज भी पूरे भारतवर्ष में जब परिवार के लोग अपनी बेटी के विवाह के लिए वर ढूढ़ने निकलते हैं तो कई वर देखने के बाद उसमें से एक को अपनी बेटी के लिए चुनते हैं, क्या इसे प्रेम विवाह की परिभाषा में परिभाषित किया जा सकता है, नहीं।*
*सरकार द्वारा बनाए गए लव मैरिज के नियम के कारण सबसे ज्यादा दूषित प्रभाव इन मैरिज से पैदा होने वाले बच्चों पर पड़ रहा है। उनका लगाव केवल धन से है। समाज से उन्हें कुछ लेना देना नहीं है। वह सीमित कमरे में रहकर बड़े होते हैं। माता-पिता के अलावा परिवार में उन्हें ज्यादा महत्व नहीं मिलता। दादा दादी, नाना नानी की कहानियां उनका ज्ञान वर्धन नहीं कर पाती। लिहाजा ऐसे बच्चे कच्ची उम्र में ही सेक्स एवं ड्रग के प्रति आकर्षित हो जाते हैं। माता पिता घर में ना रह कर धन कमाने की लालसा में बाहर घूमते रहते हैं, बच्चे केवल टीवी और मोबाइल के सहारे दिन गुजारते हैं, सामाजिक ज्ञान के अभाव में कई बार तो वह बड़े अपराधी बन जाते हैं।*
*अब चलते हैं फिर भगवान कृष्ण की ओर श्री कृष्ण की एक पटरानी यमुना भी थी इन्हें कालिंदी नाम से भी पुकारा जाता है। वह यमराज की बहन, धर्म ग्रंथों में इन्हें श्री कृष्ण की पटरानी कहा गया है।*
*जब भगवान श्री कृष्ण की सत्यभामा, जामवंती, रुमणी पत्नी हो सकती हैं, महारानी हो सकती हैं, तो फिर यमुना पटरानी क्यों? श्री कृष्ण का स्त्रियों के साथ विवाह में रानी, पटरानी, महारानी वाला भेद क्यों हैं राजा दशरथ के तीन रानियां थी लेकिन उनमें से कोई पटरानी नहीं थी, सभी महारानियां थी। यह बात अलग है केकई ने महाराज दशरथ के साथ शादी करने से पूर्व कुछ शर्ते लगाई थी उसी का परिणाम था राम को बनवास भरत को राजगद्दी।*
*श्री कृष्ण जब द्वारकाधीश बने तभी उन्होंने तीन शादियां रचाई जामवंती, सत्यभामा, रुक्मणी उनकी पत्नियां थी। तीनों उनके साथ राज महल में रहती थी। लेकिन यमुना कभी भी उनके राजमहल में नहीं रही,कृष्ण ही उनसे मिलने जाते थे। अनंत काल से पत्नियों के साथ महल में रहने की परंपरा रही है। अगर ईश्वर बाहर जाकर किसी महिला से प्रेमा लाप करें तो वह पटरानी और साधारण मनुष्य करे तो अवैध संबंध, रखैल और उसका परिणाम जेल, कैसी लीला है कानून बनाने वालों की, श्री कृष्ण की पूजा और उनका अनुसरण करने वाले को जेल, धन्य हो कानून विद और कानून बनाने वाले और उनका अमल कराने वाले की।*
*दुनिया में हर देश का संविधान एवं कानून वहां की परंपराएं एवं रीति रिवाज के अनुसार बनाया गया है। लेकिन भारत का संविधान बूचड़खाने की संस्कृति से निकल कर आया है। इसी की देन है भारत के गली मोहल्ले बन रहे हैं अपराधियों के अड्डे, टूट रहा है सामाजिक ताना-बाना, बौद्धिक लोगों को पीछे करके, अयोग्य कर रहे हैं हमारा नेतृत्व,सुरा सुंदरी के अनुसार थोपे जा रहे हैं समाज पर कानून,*
*प्रेम संबंधों का हवाला देकर स्त्री के साथ संबंध रखना, सदियों से दोयम दर्जे का माना जाता रहा है। त्रेता से लेकर कलयुग तक के धर्म ग्रंथों में इसका यही वर्णन है। लेकिन कलयुगी कानून के पंडितों ने इसे लव मैरिज का जामा पहनाकर स्त्री को बीच चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है।*
*जब एक स्त्री एक पुरुष जब जमाने से छिपाकर संबंध बनाते हैं तो उसे गंधर्व विवाह कहने की परंपरा धर्म शास्त्रों में है।*
*सत्यम श्रीवास्तव*
*प्रधान संपादक*
*TNI NEWS AGENCY*