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वित्त मंत्री ने ब्रिक्स के अपने समकक्षों के साथ अंतर-ब्रिक्स सहयोग के मुख्य क्षेत्रों पर चर्चा की जो ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाओं के सुधार को समर्थन देने और व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में अहम होंगे, वहीं इनसे भविष्य की अनिश्चितताओं और खतरों से सुरक्षा मिलेगी। श्रीमती सीतारमण ने जोर देकर कहा कि कोविड-19 महामारी जैसे संकट से निपटने में ब्रिक्स अहम भूमिका निभा रहा है और आगे भी निभाता रहेगा।

बैठक के दौरान, एफएमसीबीजी ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर ब्रिक्स के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों के बयान तथा महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने में ब्रिक्स देशों के नीतिगत अनुभवों के औपचारिक ब्योरे के साथ कोविड-19 संकट पर प्रतिक्रिया का अनुमोदन किया गया। अध्यक्ष के रूप में, श्रीमती सीतारमण ने कहा कि वैश्विक समुदाय के सामने भारत इस बयान को काफी महत्व देता है, क्योंकि इससे महामारी के बाद के सुधार पर वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय नीतिगत संवाद को रेखांकित करने वाले महत्वपूर्ण पहलुओं पर ब्रिक्स देशों के विचारों को सर्वसम्मति से एक आवाज मिलती है।

इसमें एक “सामाजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर तकनीक रिपोर्ट: डिजिटल तकनीकों को वित्तपोषण और उपयोग” का भी अनुमोदन किया गया। यह रिपोर्ट सामाजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर ब्रिक्स देशों के बीच सहयोगात्मक ज्ञान साझा करने की दिशा में एक विशेष कवायद है, जिसमें विशेष रूप से स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में ब्रिक्स देशों की सरकारों द्वारा पहुंच बढ़ाने और सेवा आपूर्ति में सुधार में डिजिटल तकनीकों के उपयोग से जुड़ा विवरण भी शामिल है। ब्रिक्स के वित्त मंत्रियों ने सीमा शुल्क से जुड़े मामलों में कोऑपरेशन एंड म्युचुअल एडमिनिस्ट्रेटिव असिस्टैंस (सीएमएए) के विवरण पर बातचीत के निष्कर्षों के साथ ही सीमा शुल्क से संबंधित अन्य मामलों की प्रगति पर विचार-विमर्श का भी स्वागत किया।

आरबीआई गवर्नर श्री शक्तिकांत दास ने बैठक में केंद्रीय बैंकों से जुड़े मुद्दों और उनके निष्कर्षों पर हुए विचार-विमर्श की अध्यक्षता की, जिनमें वित्तीय समावेशन, कंटिंजेंस रिजर्व अरैंजमेंट (सीआरए) और सूचना सुरक्षा सहयोग शामिल हैं।

श्रीमती सीतारमण और श्री दास ने ब्रिक्स फाइनेंस के महत्वपूर्ण और प्रासंगिक वितरण को तैयार करने के साथ ही अंतिम रूप देने में भारतीय अध्यक्षता को अपना सहयोग व समर्थन देने के लिए ब्रिक्स देशों की सराहना की।

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