★”नमस्ते ट्रम्प का दांव पड़ सकता है उल्टा ?”*
■■नई दिल्ली 12 नबम्बर।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी को बिहार चुनाव में 74 सीटें जिता कर नीतीश कुमार को चारों खाने चित करते हुए आगे तो निकल गए, लेकिन बिहार विधानसभा में जो पार्टियों की गणना आई है उसे देखते हुए भरतीय जनता पार्टी के जश्न मनाने के बावजूद भी सारे अरमान धराशाई हो गए हैं।
जगह जगह भारतीय जनता पार्टी बिहार जीत का जश्न मना रही है, लेकिन इस जीत का श्रेय नीतीश कुमार को दे रही है। पहले तो चिराग पासवान को अलग रास्ता दिखाया, नीतीश कुमार के मुकाबले खड़ा करवाया।
जब नीतीश कुमार की सीटें घटकर 43 रह गई तो फिर भी भारतीय जनता पार्टी अपना मुख्यमंत्री बिहार में बनाने की जगह, नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाए जाने का सब्जबाग दिखा रही है।
भारतीय जनता पार्टी जीत का श्रेय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी दे रही है, उधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को, आखिरकार ऐसी क्या मजबूरी है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका श्रेय देने के लिए भी दो नामों पर सवारी करना पड़ रही है।
बिहार की राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों का मानना है कि नीतीश कुमार भी कम खिलाड़ी नहीं है। एक बार वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गच्चा देकर बिना बीजेपी के सहारे तेजस्वी यादव से चाचा भतीजे का रिश्ता बनाए रखकर मुख्यमंत्री बन चुके हैं और भारतीय जनता पार्टी को धता बता चुके हैं, यही परिदृश्य बिहार के इस विधानसभा चुनाव में उभर कर सामने आया है।
बिहार विधानसभा के निर्वाचित विधायकों में आरजेडी, तेजस्वी यादव के 75 विधायक जीत कर आए हैं, वही कांग्रेस के 19 विधायक सहित सीपीआईएम के 12 विधायक चुनाव जीते हैं।
अगर नीतीश कुमार से बीजेपी ने ज्यादा पंगा लिया तो बिहार में किसी भी वक्त चाचा नीतीश कुमार भतीजे तेजस्वी यादव को आशीर्वाद देकर उसे मुख्यमंत्री बनवा सकते हैं।
बस यही बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बन गया है। अब नीतीश कुमार बीजेपी को ना उगलते हुए और ना निकलते हुए अच्छे लग रहे हैं। सच पूछा जाए तो भारतीय जनता पार्टी को चारों दिशाओं में फैलाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दशा सांप छछूंदर जैसी हो गई है।
इसीलिए मान ना मान मैं तेरा मेहमान, नीतीश कुमार को स्वीकार करना पड़ रहा है। स्वीकार करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है, इसलिए बिहार मे भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री पद की बलि देकर किसी तरह से नीतीश कुमार को साधे रखना चाहती है। अगर नीतीश कुमार पाला बदल गए तो मृत प्राय पड़ी मोदी विरोधी शक्तियों को संजीवनी मिल जाएगी और वह बहुत बड़ा आंदोलन खड़ा कर सकती हैं।
उधर अमरीका में डोनाल्ड ट्रंप की हार और जो वाईडन की अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए हुई एकतरफा जीत से भारतीय राजनीति में भूकंप ला दिया है, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी खुलेआम डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन में मैदान में उतर गए थे, लेकिन भारतीय मतदाताओं ने डोनाल्ड ट्रंप को चारों खाने चित कर के यह बता दिया है कि अमेरिका में बसे भारतीय हिंदुस्तानी, भारतीयों की तरह नहीं है, जो हिंदू मुस्लिम के लाली पाप पर वोटिंग करें उन्होंने अपना आगे का भविष्य देखकर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जो वाईडन एवं कमला हैरिस को विजयी बनाया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जो वाईडन का जीतना भारतीय राजनीति पर काफी दूरगामी असर डालने वाला है।
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी मुश्किल यह है की भारत का चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट या सीबीआई या ईडी अमरीका के बदलते तेवरों को रोकने में कोई मदद करने की स्थिति में नहीं है।
भारतीय राजनीति पर अगला हमला अमेरिका के भविष्य के रणनीतिकारों की तरफ से हो सकता है। इसका ताना-बाना अमेरिका में बुना जा रहा है, चुन-चुन कर अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी सलाहकार परिषद में भारतीयों को अग्रणी भूमिका दे रहे हैं इसका असर आने वाले दिनों में भारतीय राजनीति पर पड़ सकता है।
ऐसे कयास भारतीय रणनीतिकारों द्वारा लगाए जाने लगे हैं, हलांकि यह दूर की कौड़ी है, लेकिन है कौड़ी, कब नजदीक आकर बवाल पैदा कर दे कहा नहीं जा सकता बस इंतजार ही किया जाता है।
साभार
सत्यम श्रीवास्तव
*प्रधान संपादक*
*टी एन आई न्यूज़ एजेन्सी*
नई दिल्ली